उच्चतम न्यायालय में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले की सुनवाई बुधवार को यानी दूसरे दिन भी जारी है। ये इस अंतिम सुनवाई का दूसरा दिन है। आज भी निर्मोही अखाड़ा अपनी दलीलें अदालत के सामने रख रहा है। अखाड़ा इस वक्त मामले का इतिहास अदालत को समझा रहा है। उच्चतम न्यायालय ने मध्यस्थता प्रक्रिया विफल होने के बाद नियमित सुनवाई का फैसला किया है।
खबरों के मुताबिक, अयोध्या मामले में पक्षकार निर्मोही अखाड़े की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सुशील जैन ने प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दूसरे दिन भी दलीलें जारी रखीं। ये इस अंतिम सुनवाई का दूसरा दिन है। दूसरे दिन भी निर्मोही अखाड़ा अपनी दलीलें अदालत के सामने रख रहा है। अखाड़ा इस वक्त मामले का इतिहास अदालत को समझा रहा है।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने निर्मोही अखाड़ा से पूछा कि आप किस आधार पर जमीन पर अपना हक जता रहे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आप बिना मालिकाना हक के पूजा-अर्चना कर सकते हैं, लेकिन पूजा करना और मालिकाना हक जताना अलग-अलग बात है। निर्मोही अखाड़ा की तरफ से वकील ने कहा कि सूट फाइल करने का मकसद ये था कि हम अंदर के कोर्टयार्ड में अपना हक जता सकें। अखाड़ा ने कहा कि वह विवादित भूमि पर मालिकाना हक और कब्जे की मांग कर रहे है।
उल्लेखनीय है कि निर्मोही अखाड़े की तरफ से मंगलवार को जो तर्क रखे गए थे, उसमें बताया गया कि 1850 से ही हिंदू पक्ष वहां पर पूजा करता आ रहा है। उनकी ओर से कहा गया कि 1949 से उस विवादित स्थल पर नमाज नहीं पढ़ी गई थी, ऐसे में मुस्लिम पक्ष का हक जताना पूरी तरह गलत है।