मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा था कि नोटा की शुरुआत इसलिए की गई थी ताकि प्रत्यक्ष चुनावों में कोई व्यक्ति वोटर के तौर पर इस विकल्प का इस्तेमाल कर सके। चुनाव आयोग ने जवाब दाखिल कर कहा था कि राज्यसभा चुनाव में नोटा सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक ही है। ये प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव दोनों पर लागू होता है।