सबसे अहम बाद यह रही कि सोमवार शाम को प्रधानमंत्री मोदी ने शहीदों के सम्मान में दिल्ली में वॉर मेमोरियल (युद्ध स्मारक) का लोकार्पण किया था। 40 एकड़ में बने इस युद्ध स्मारक की लागत 176 करोड़ रुपए आई है और यह रिकार्ड एक साल में बनकर पूरा हुआ है। यह वॉर मेमोरियल करीब 22 हजार 600 जवानों के प्रति सम्मान का सूचक है, जिन्होंने आजादी के बाद से अनेकों लड़ाइयों में देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी।
इस कार्यक्रम में जब नरेन्द्र मोदी पूर्व सैनिकों को संबोधित कर रहे थे, तब देश में किसी को भी यह अनुमान नहीं था कि आज की रात पाकिस्तानी आतंकियों के लिए 'कहर की रात' होगी। रात 3.30 बजे के लगभग भारतीय वायुसेना के 12 विमानों ने पाकिस्तान के 80 किलोमीटर अंदर तक घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के कैंप को तबाह कर दिया। इस कैंप को जैश सरगना मसूद अजहर का साला मौलाना यूसुफ उर्फ उस्ताद गौरी चला रहा था। माना जा रहा है कि वह भी इस हमले में मारा गया है।
ध्यान रहे कि कारगिल हमले के समय तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अंतरराष्ट्रीय सीमा का उल्लंघन नहीं किया था, लेकिन एक बार फिर मोदी ने अंतरराष्ट्रीय सीमा लांघकर बता दिया कि बहुत हुआ, अब हम नहीं सहेंगे। अब इंतजार नहीं करेंगे। आतंकी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेंगे। नहीं मानोगे तो घर में घुसकर मारेंगे।