अक्षय तृतीया का मुख्य महात्म्य यह है कि इस व्रत के करने से कभी पुण्यों का क्षय नहीं होता है तथा मनुष्य पाप-कर्म की ओर नहीं बढ़ता। मुख्यतः इस दिन जल से भरे मिट्टी के घड़े, घी, चीनी, दाल-चावल, नमक, इमली तथा वस्त्रादि का दान किया जाता है। घड़े का जल शरीर को शीतलता प्रदान करता है।