Prayagraj Mahakumbh 2025: अपनी कुछ खूबियों के कारण सोशल मीडिया पर वायरल चंद लोगों से इतर भी महाकुंभ है। वही महाकुंभ असली और स्थाई है। वही अनादि काल से चली आ रही अपनी परंपरा भी है। इस असली वाले महाकुंभ में वे 10 लाख कल्पवासी हैं जो हर रोज तड़के स्नान करने के बाद पूरा समय जप और सत्संग में बिताते हैं। इसमें साधु-संतों के वे अखाड़े या शिविर हैं जिनमें लगातार धर्म, अध्यात्म, योग आदि विषयों पर लगातार प्रवचन चल रहा है। उनमें हो रहे मंत्रोच्चार की मधुर धुन से ऊर्जा मिल रही है, जो अनवरत लोगों के लिए लंगर चला रहे हैं।
सत्संग का असर स्थाई होता है : संगम में पुण्य की डुबकी के बाद संतों के सान्निध्य में किए गए सत्संग का असर तो स्थाई होगा। रामचरितमानस में तुलसीदास ने भी कई जगहों पर सत्संग की महिमा और महत्ता का वर्णन किया है। एक जगह वह कहते हैं, 'बिनु सत्संग विवेक न होई, राम कृपा बिनु सुलभ न सोई'। सत्संग की महिमा का वर्णन करते हुए एक अन्य जगह पर वह कहते हैं, 'सतसंगत मुद मंगल मूला। सोई फल सिधि सब साधन फूला'।
देर रात अगर ऊपर से महाकुंभ नगर को देखें तो लगता है, मां गंगा की सफेद रेती के कैनवास पर किसी ने रंग-बिरंगे टेंट और जगमग रौशनी, नावों और गंगा-जमुना के अविरल जल का बतौर पेंट प्रयोग कर बेहद खूबसूरती से एक बेहद उम्दा पेंटिंग उकेर दी हो।