उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों से डिग्री प्राप्त युवा नौकरियों के पीछे भागने के बजाय रोजगार देने वाले बनें। विश्वविद्यालय ज्ञान के केंद्र होते हैं। इनमें विद्यार्थियों को केवल पाठ्यपुस्तकों का अध्ययन ही नहीं कराया जाए बल्कि उनकी बौद्धिक क्षमता कैसे बढ़े, उनमें उद्यमिता की प्रवृत्ति का कैसे विकास हो, इस पर भी विशेष ध्यान दिया जाए। शिक्षा सतत चलने वाली प्रक्रिया है और वही शिक्षा सार्थक है, जो जीवन को बेहतर ढंग से जीने की राह दिखाए।
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