उन्होंने कहा कि भारी बारिश से उफनाई धौली नदी में ट्रॉली बहने के कारण गांव का शेष दुनिया से संपर्क टूट गया है, लेकिन वहां जान-माल का नुकसान होने की कोई खबर नहीं है। दारमा घाटी के दूसरे छोर पर स्थित चल गांव तक आने-जाने के लिए के लिए धौली नदी पर एक ट्रॉली स्थापित की गई थी।
चल गांव के निवासी दिनेश चलाल ने बताया कि पहले यहां आवागमन के लिए लोहे का एक पुल था, जो 2013 में आई प्राकृतिक आपदा में बह गया। इसके बाद, प्रशासन ने नदी को पार करने के लिए ट्रॉली लगा दी थी।
ग्रामीणों के मुताबिक, गांव के 25 से ज्यादा लोग उच्च हिमालयी क्षेत्र में उगने वाली जड़ी-बूटी यारसा गोम्बू को एकत्रित करके लौटने वाले हैं और उफनाई धौली नदी को बिना ट्रॉली के पार करने का प्रयास करने से उनका जीवन खतरे में पड़ सकता है। अगर ट्रॉली जल्द नहीं लगाई गई, तो गांव वालों को 20 किलोमीटर ऊपर की ओर चलना पड़ेगा, ताकि वे धौली नदी पर बने एक अन्य पुल का इस्तेमाल कर निकटवर्ती धारचूला बाजार पहुंच सकें।