पुणे। चुनाव आयोग द्वारा शिंदे गुट को शिवसेना सौंपने के फैसले से उद्धव ठाकरे की मुश्किल बढ़ गई है। पार्टी खड़ी रखने के साथ ही उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने कार्यकर्ताओं का मनौबल बनाए रखना है। हालांकि, NCP प्रमुख शरद पवार ने कहा कि तीर-कमान का चिह्न खोने से उद्धव ठाकरे नीत शिवसेना पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि जनता उसके नए चिह्न को स्वीकार कर लेगी। हालांकि उद्धव ने फैसले को लोकतंत्र के लिए खतरनाक बताया और कहा कि वह इसे उच्चतम न्यायालय में चुनौती देंगे।
पवार ने याद दिलाया कि इंदिरा गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस ने 1978 में एक नया चिह्न चुना था, लेकिन उससे पार्टी को नुकसान नहीं उठाना पड़ा था। राकांपा प्रमुख ने ठाकरे समूह को सलाह दी कि जब कोई फैसला आ जाता है, तो चर्चा नहीं करनी चाहिए। इसे स्वीकार करें, नया चिह्न लें। इससे (पुराना चिह्न खोने से) कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
इस बीच राकांपा के वरिष्ठ नेता अजित पवार ने एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट को वास्तविक शिवसेना के रूप में मान्यता देने संबंधी निर्वाचन आयोग के फैसले को अप्रत्याशित करार दिया और पूछा कि निर्वाचन आयोग ने फैसला सुनाने में जल्दबाजी क्यों की। उन्होंने कहा कि शिवसेना के आम कार्यकर्ता उद्धव ठाकरे के साथ खड़े रहेंगे।
इस बीच ठाकरे ने निर्वाचन आयोग पर आरोप लगाया कि वह केंद्र सरकार का गुलाम बन गया है। यह कल हमारे मशाल के चिह्न को भी छीन सकता है।
ठाकरे ने कहा कि देश में लोकतंत्र जिंदा रहे, यह सुनिश्चित करने के लिए उच्चतम न्यायालय आखिरी उम्मीद है। उन्होंने कहा कि अगर यह उम्मीद खत्म हो गई तो हमें हमेशा के लिए चुनाव कराना बंद कर देना चाहिए और एक व्यक्ति का शासन कायम कर देना चाहिए।
ठाकरे ने कहा कि शिंदे समूह ने भले ही कागज पर तीर-कमान का चिह्न चुरा लिया हो, लेकिन असली धनुष और तीर जिसकी बालासाहेब ठाकरे पूजा करते थे, वह मेरे पास है। उन्होंने कहा कि शिवसेना फिर से खड़ी होगी और खत्म नहीं होगी।