समाजसेवा के लिए समर्पित शख्सियत मदन कोहड़े

शुक्रवार, 25 दिसंबर 2020 (18:04 IST)
-लेषणी मेहरा
नागपुर। कोरोनावायरस (Coronavirus) काल जब पूरी मानवता संकट में थी, तब समाज से ही कई हाथ ऐसे भी थे जो जरूरतमंदों की मदद के लिए आगे बढ़े। इन्हीं में से एक हैं नागपुर निवासी मदन कोहड़े। इन्होंने संकट के इस दौर में लोगों को भोजन पहुंचाने के साथ ही सैनिटाइजेशन के काम में भी सहयोग किया। 
 
मदन कोहड़े ने समाजसेवा के कार्यों की शुरुआत अकेले ही की, लेकिन समय के साथ कारवां बढ़ता गया और उनकी सेवा का दायरा भी बढ़ता गया। उन्होंने अपने दिवंगत पिताजी के नाम पर श्यामरावजी कोहड़े बहुउद्देशीय विकास संस्था के नाम से एक संस्था का गठन किया।
 
सामाजिक कार्यों में सतत संलग्न कोहड़े कहते हैं कि प्रत्येक मनुष्य में लोगों की मदद करने की भावना होना बहुत जरूरी है। वे न सिर्फ स्वयं लोगों की सेवा करते हैं बल्कि दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करते हैं। 
 
उन्होंने कहा कि वे प्रमुख रूप से दुर्घटनाग्रस्त लोगों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था करते हैं साथ ही अस्पताल में रह रहे लोगों के लिए खाने के साथ ही रहने और कपड़े की व्यवस्था भी करते हैं। गरीब बच्चों को शिक्षा हासिल करने में भी कोहड़े मदद करते हैं।
कोरोना काल में बढ़ा सेवा का दायरा : मदन कहते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उन्होंने पुलिस की अनुमति प्राप्त करने के बाद जरूरतमंद लोगों तक टिफिन और अनाज पहुंचाया। वे इस दौरान रोजाना कम से कम 100 लोगों के खाने का इंतजाम करते थे। इतना ही नहीं उनकी टीम ने दुकानों, बिल्डिंगों एवं गरीब बस्तियों में सैनिटाइजेशन का काम भी किया था।
 
उन्होंने कोरोना काल में अपनी जान जोखिम में डाल लोगों के लिए काम कर रहे स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों, पुलिसकर्मियों आदि को उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया। इस दौरान मदन की संस्था ने कोरोना काल में बेरोजगार हुए लोगों के लिए फल और सब्जियां लाकर दीं ताकि उन्हें बेचकर वे अपना रोज का खर्चा जुटा सकें और अपनी जरूरत का सामान ले सकें। 
 
महिलाओं को रोजगार की व्यवस्था : मदन की संस्था ने महिलाओं के लिए बचत की योजना बनाई जिसके तहत वह उन्हें पापड़, मसाले, आचार आदि बनाने का सामान उपलब्ध कराने के साथ ही मोमबत्तियां, एलईडी  लाइट्स आदि लाकर देते हैं ताकि वे इस सामान को बेचकर अपना रोज का खर्चा निकाल सकें।
भविष्य की योजनाएं : अपनी भविष्य की योजनाओं पर चर्चा करते हुए मदन कहते हैं कि उन्होंने सारा का बोड़ा नामक जगह पर 1 एकड़ जमीन संस्था के नाम पर ली है, जहां वे अनाथालय, वृद्धाश्रम और प्रशिक्षण शिविर बनाने वाले हैं। यहां गरीब बच्चों के ‍लिए शिक्षा का इंतजाम करेंगे तथा कुछ जमीन पर खेती भी करवाएंगे ताकि उससे प्राप्त रकमद का उपयोग आश्रम के लिए किया जा सके। (इंटर्नशिप के तहत पारूल विवि की छात्रा) 
 

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