10वीं तक पढ़ी सीताक्का 1988 में नक्सलियों के साथ जुड़ गई थीं। इसके बाद वह नक्सलियों के समूह में वह कमांडर बन गईं। पुलिस एनकाउंटर में उनके पति और भाई की मौत हो गई। उन्होंने 15 साल से अधिक समय जंगल में छिपकर बिताया और सरकार के खिलाफ लड़ाई लड़ी। चंद्रबाबू सरकार के राज उन्होंने मुख्यधारा में लौटने का फैसला किया।