List of Hindu Shakti Peethas in Bangladesh: भारत का बंगाल कभी शाक्त धर्म का प्रमुख राज्य हुआ करता था, परंतु अब यह पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में विभाजित होकर मुस्लिम बहुल क्षेत्र हो चला है। पश्चिम बंगाल भारत का हिस्सा है जहां पर हिंदू बहुसंख्यक हैं जबकि बांग्लदेश एक मुस्लिम राष्ट्र बन चुका है। दोनों ही क्षेत्र में हिंदू धर्म के शक्तिपीठ, मंदिर और तीर्थ मौजूद है जिनका की पुराणों में उल्लेख मिलता है। 108 शक्तिपीठों में से बांग्लादेश में 5 और पश्चिम बंगाल में 12 शक्ति पीठ या रक्तपीठ है। भारत का बंटवारा जब हुआ था तब भारतीय हिन्दुओं ने अपने कई तीर्थ स्थल, शक्तिपीठ और प्राचीन मंदिरों को खो दिया। वर्तमान में उनमें से बहुतों का अस्तित्व मिटा दिया गया और जो बच गए हैं वे भी अपनी अस्तित्व के मिट जाने के मुहाने पर है।ALSO READ: भारत के पश्चिम बंगाल में हैं 51 में से 12 शक्तिपीठ
बांग्लादेश के 5 प्रमुख शक्तिपीठ:-
1. श्रीशैल- महालक्ष्मी
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था। इसकी शक्ति है महालक्ष्मी और भैरव को शम्बरानंद कहते हैं।
2. करतोयातट- अपर्णा
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी। इसकी शक्ति है अर्पण और भैरव को वामन कहते हैं।
3. यशोर- यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरीपुर के श्याम नगर उपनगर, सातखिरा जिले में यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे (पाणिपद्म) थे। इसकी शक्ति है यशोरेश्वरी और भैरव को चण्ड कहते हैं। कुछ मानते हैं कि यहां पर माता की हथेलियां गिरी थीं। यहां पर 100 से अधिक दरवाजे थे लेकिन मुगलों के शासनकाल में इस मंदिर को खंडित कर दिया था।
4. चट्टल- भवानी
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगांव) जिला के सीताकुंड स्टेशन के निकट चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी। इसकी शक्ति भवानी है और भैरव को चंद्रशेखर कहते हैं।
1. ढाकेश्वरी मंदिर: ढाका में स्थित ढाकेश्वरी मंदिर को भी 51 शक्तिपीठों में से एक मानते हैं। कहते हैं कि यहां पर देवी सती का मुकुट का गिरा था। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में सेन वंश के राजा बल्लाल सेन ने करवाया था। यह बांग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर भी है।
2. आदिनाथ मंदिर: बांग्लादेश की मेनाक पहाड़ी की चोटी पर स्थित यह मंदिर शिवजी को समर्पित है। आदिनाथ शिवजी का ही नाम है और उनका दूसरा नाम मोहेश है। इसी मोहेश के नाम पर इसका नाम मोहेशखली रखा गया है। इसकी स्थापना त्रेतायुग में हुई थी परंतु इसे फिर से 12वीं शताब्दी ईस्वी में बनाया गया।
3. कांताजी मंदिर: बांग्लादेश के दिनाजपुर में स्थित यह मंदिर श्री कृष्ण का मंदिर है। इसका निर्माण महाराजा प्राणनाथ द्वारा 1704 में शुरू करवाया गया। यह मंदिर राधा-माधव संप्रदाय का मुख्य मंदिर है।
4. कोडला मठ: बांग्लादेश के बागेरहाट का मंदिर के कंगनी पर लगे एक खंडित शिलालेख के अनुसार इसका निर्माण 17वीं शताब्दी के आसपास एक ब्राह्मण ने करवाया। तब इसे तारक ब्रह्मा का मंदिर माना जाता था परंतु अब यह एक बौद्ध मठ है।
4. पुठिया मंदिर: पुठिया उपजिले में स्थित यह मंदिर राजशाही के दौरान पुठिया राजपरिवार के हिंदू जमींदार राजाओं द्वारा बनवाया गया था। इसके आसपास कुछ दूरी पर और भी कई मंदिर है। जैसे गोविंदा मंदिर और भुवनेश्वर शिव मंदिर।
5. पूर्ण चंडी मंदिर: यह मंदिर बांग्लादेश के पुष्करणी में स्थित है। यह सुंदर मंदिर देवी चंडी को समर्पित हैं। इसके परिसर में सुंदर बगीचे हैं। प्राचीन वास्तुकला से निर्मित यह मंदिर बाहर से देखने में सुंदर लगता है।
6. जॉय काली मंदिर: बांग्लादेश में ठाटहरी बाजार और वारी के बीच स्थित जॉय काली मंदिर लगभग 400 साल पुराना है, जिसकी स्थापना बंगाली वर्ष 1001 में हुई थी।
7. काल भैरव मंदिर: बांग्लादेश के ब्राह्मणबारिया जिले के मेड़ता में स्थित यह मंदिर शिवजी और भैरव को समर्पित है। यहां काल भैरव के साथ माता काली की भी पूजा अर्चना की जाती है।
8. रथ मेला मंदिर: यह मंदिर बांग्लादेश के डुमुरिया में स्थित है। यह वार्षिक रथ मेला के लिए भी जाना जाता है। भगावन जगन्नाथ को समर्पित इस मंदिर में हजारों लोग दर्शन के लिए आते हैं।
9. चैतन्य देव मंदिर: चैतन्य महाप्रभु और श्रीकृष्ण को समर्पित यह मंदिर सिलहट में स्थित है। यह वैष्णव भक्तों का प्रमुख मंदिर है। इस्कॉन के भक्त भी इससे जुड़े हुए हैं।
10. तारापीठ: तारा देवी को समर्पित यह बांग्लादेश का सबसे प्रसिद्ध मंदिर है। यह हिंदू और बौद्ध तांत्रिकों का प्रमुख मंदिर भी माना जाता है।
बांग्लादेश के तीर्थ स्थल:
बांग्लादेश में 700 से अधिक नदियां हैं जिनमें से कई के तटों पर हिंदू तीर्थ स्थल हैं। जैसे ब्रह्मपुत्र, गंगा (पद्मा) और मेघना नदियों सहित जमुना, संगु, हल्दा, सुमा, अत्रि, रैडक, महानंदा, तीस्ता, कर्णफूली, बंगशी आदि नदियों पर हिंदू आबादी बसी हुई थी।