नई दिल्ली। 'हॉकी के जादूगर' के नाम से दुनिया भर में विख्यात मेजर ध्यानचंद को देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' देने की मांग को लेकर राज्यसभा सांसद और पूर्व खिलाड़ी दिलीप टिर्की तथा मेजर ध्यानचंद के पुत्र और विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे अशोक कुमार के नेतृत्व में कई हॉकी के कई दिग्गजों ने रविवार को यहां जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया।
टिर्की और अशोक के नेतृत्व में आयोजित इस प्रदर्शन में पूर्व कप्तान जफर इकबाल सहित कई पूर्व हॉकी खिलाड़ियों ने शामिल होकर मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से अलंकृत करने की मांग की। टिर्की और अशोक कुमार ने कहा कि भारत के महानतम हॉकी खिलाड़ी ध्यानचंद को भारत रत्न के लिए लगातार नजरअंदाज किया जाता रहा है लेकिन इस वर्ष 29 अगस्त को उनके जन्मदिवस पर हम उन्हें भारत रत्न से सम्मानित करने की मांग करते हैं।
ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार ने भारत रत्न देने की मांग करते हुए कहा, हमारे कई साथी हॉकी से प्रेरणा लेकर आगे बढ़े और उन्होंने हॉकी को एक नया आयाम दिया और वह आयाम आज भी इस देश में कायम है, जिसकी बदौलत हॉकी को इस देश में राज्य का गौरव प्राप्त हुआ। ध्यानचंद को भारत रत्न देने की सिफारिश पूर्व खेल ने अपने कार्यकाल के दौरान किया लेकिन तब से आज तक ध्यानचंद को खेल रत्न नहीं मिला है। क्या यह पुरस्कार उनको मिलेगा। कभी सरकार बोलती है मिलेगा, कभी बोलती है संसद से पारित हो गया है, कभी बोलती है नहीं हुआ है। तो ये कौनसी स्थिति है?
विश्व कप विजेता टीम के सदस्य रहे अशोक ने कहा कि हम सब चाहते हैं कि ध्यानचंद की ये स्थिति जिन्होंने देश के लिए एक निष्ठा के साथ, एक सिपाही की हैसियत से, एक खिलाड़ी की हैसियत से छोटे से इंसान के कद के रुप में आगे बढ़कर देश के गौरव सम्मान को ऊचाईयों पर पहुंचाया है। तो क्या ए हम सब का फर्ज नहीं बनता है कि ऐसे खिलाड़ियों को, ऐसे लोगों को हम सम्मानित करें। सरकार चाहे किसी की भी हो ,सरकार हमारे लिए सर्वोपरि है और हमारी उनसे यही अपेक्षा है कि ऐसे लोगों को आप कभी दरकिनार ना करें। मैं चाहता हूं मेजर ध्यानचंद को भारत रत्न से अलंकृत किया जाए। ये मेरी नहीं सारे खिलाड़ियों की मांग है।
भारतीय हॉकी टीम को वर्ष 1928, 1932 और 1936 में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक दिलाने वाले मेजर ध्यानचंद को सचिन से पहले ही भारत रत्न देने की मांग की गयी थी। वर्ष 2013 के नवंबर में लीजेंड क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर को उनके संन्यास के दिन ही भारत रत्न देने की घोषणा कर दी गयी थी।
पूर्व हॉकी कप्तान जफर इकबाल ने कहा कि सिर्फ हिन्दुस्तान के ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लोग जो हॉकी से जुड़े हुए हैं और वह इस बात को मानते हैं कि दादा ध्यानचंद का विश्व में क्या मुकाम रहा है। मैं समझता हूं सरकार को सारी बातें मालूम हैं और पिछली बार भी ध्यानचंद के नाम की ही सिफारिश की गयी थी। लेकिन जिनकी फाइल चलनी थी वह चली गयी। हालांकी ऐसा नहीं है कि उनकी फाइल दब गयी है और मुझे सरकार से उम्मीद है कि वह जरुर एक ना एक दिन यह निर्णय लेगी उनको (ध्यानचंद) को भारत रत्न दिया जाए।
इकबाल ने कहा कि जितने भी खिलाड़ी है चाहे वह किसी भी खेल से हो वह इस बात को मानते हैं कि दादा ध्यानचंद ही ऐसे शख्स हैं जो इस समय इस पुरस्कार के हकदार है। मैं समझता हूं कि सभी लोगों की दुआएं उनके साथ है और मेरा ऐसा मानना है कि इस बात को सरकार जरुरी मानेगी और उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा करेगी। हम सब इसी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आज यहां एकजुट हुए हैं।
इस अवसर पर पद्मश्री से सम्मानित रेत से आकृति बनाने वाले मशहूर कलाकार सुदर्शन पटनायक ने जंतर-मंतर पर रेत से ध्यानचंद और भारत रत्न की आकृतियां बनाई। सुदर्शन ने कहा कि मैं किसी के कहने पर यहां नहीं आया बल्कि ध्यानचंद का समर्थन करने आया था ताकि उन्हें भारत रत्न मिल सके। ध्यानचंद के पुत्र अशोक कुमार ने सुदर्शन की तारीफ करते हुए कहा कि उन्हें ऐसी कलाकारी के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिल चुका है लेकिन सुदर्शन इससे भी बड़े पुरस्कार के हकदार है। उनके अंदर जो प्रतिभा है वह हर किसी इंसान के अंदर नहीं होती। (वार्ता)