नई दिल्ली:हॉकी इंडिया ने अनुभवी स्ट्राइकर रानी को हाल ही में टोक्यो ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम का प्रतिनिधित्व करने वाली 16 सदस्यीय टीम का कप्तान नियुक्त किया है। रानी न केवल अपने ऑन-फील्ड प्रदर्शनों के लिए, बल्कि टीम में युवाओं का मार्गदर्शन करने की अपनी सहज क्षमता के लिए भी कप्तान के रूप में पहली पसंद हैं।
प्रारंभिक जीवन
4 दिसंबर 1994 को हरियाणा के शाहबाद मारकंडा में जन्मी रानी रामपाल का जीवन शुरुआत से ही संघर्षों में गुजरा। लेकिन जीवन के दिए तमाम कष्टों से उपर उठकर आज वह ओलंपिक में भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान बन गई हैं।
रानी के पिता अपनी आजिविका के लिए तांगा चलाते थे उनकी मासिक आय कुल 9 हजार रुपए थी। रानी अपने परिवार में सबसे छोटी है। रानी के दो बड़े भाई हैं। अपने खेल के दम पर उन्होंने रेल्वे में क्लर्क की नौकरी पायी और फिर परिवार की जिम्मेदारी निभाई
करियर
रानी रामपाल ने करीब 2009 में 14 साल की उम्र में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच खेला। इस ही साल भारत को एशिया कप जिताने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। साल 2010 में विश्वकप टीम में शामिल होने वाली वह भारत की सबसे युवा खिलाड़ी बनी। सेंटर फॉर्वर्ड खेलने वाली रानी रामपाल इस साल बीबीसी स्पोर्ट्स वुमन ऑफ द इयर में नामांकित खिलाड़ी थी।
उल्लेखनीय है कि रानी की कप्तानी में भारतीय महिला हॉकी टीम ने पिछले चार वर्षों में महत्वपूर्ण परिणाम हासिल किए हैं, जिसमें 2017 में एशिया कप जीतना, एशियाई खेलों 2018 में रजत पदक जीतना, एशियाई चैंपियंस ट्रॉफी 2018 में रजत और साथ ही 2019 में एफआईएच सीरीज का फाइनल जीतना शामिल है। रानी के नेतृत्व वाली टीम ने पहली बार लंदन में एफआईएच महिला विश्व कप 2018 के क्वार्टर फाइनल में भी जगह बनाई थी। वह भुवनेश्वर में एफआईएच ओलंपिक क्वालीफायर के दौरान भारत के प्रदर्शन का केंद्र बिंदु थीं, जहां उनके गोल ने टीम को क्वालीफिकेशन के लिए अमेरिका के खिलाफ 6-5 से आगे कर दिया था।