हम ग़ाज़ा का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे, यूएन के शीर्ष अधिकारी ने जताया संकल्प

UN
गुरुवार, 27 जून 2024 (12:25 IST)
We will never abandon Gaza : संयुक्त राष्ट्र मानवीय राहत एजेंसियां, ग़ाज़ा पट्टी में मौजूदा ख़तरों के बावजूद ज़रूरतमन्दों तक जीवनरक्षक सहायता पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मानवीय सहायता मामलों में संयोजन के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) के शीर्ष अधिकारी मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने अपना पदभार छोड़ने से कुछ ही दिन पहले यूएन न्यूज़ के साथ एक विशेष बातचीत में यह बात कही है।

इस बीच मंगलवार को मीडिया में ऐसी ख़बरें थी कि संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी जारी की है कि सुरक्षा हालात और इसराइली सेना के साथ समन्वय में सुधार नहीं होने की स्थिति में राहत प्रयासों को रोकने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

हालांकि यूएन अवर महासचिव ने स्पष्ट किया कि इस सिलसिले में कोई अल्टीमेटम नहीं दिया गया है। उनके अनुसार, पिछले अनेक महीनों से सही परिस्थितियां तैयार करने के लिए इसराइली प्रशासन व अन्य पक्षों के साथ पारस्परिक बातचीत जारी है, जिसमें अमेरिका से भी मदद मिल रही है।

उन्होंने कहा कि हम ग़ाज़ा से बिलकुल भी दूर नहीं भाग रहे हैं, मगर यह सच है कि ग़ाज़ा में सुरक्षा स्थिति के बारे में चिन्ता है और वहाँ पर काम करना और अधिक मुश्किल होता जा रहा है।

“सहायता बदलाव ला सकती है, और इसलिए हमें इन सभी चौकियों को फिर से खोलने की ज़रूरत है” इसके मद्देनज़र उन्होंने सुरक्षा व बचाव उपायों पर ज़ोर देने, अस्थाई तट पर राहत उतारने की व्यवस्था फिर शुरू करने और अन्य हरसम्भव उपाय किए जाने का आग्रह किया।

राजनैतिक पहलू पर बल : यूएन अवर महासचिव ने कहा कि यह समस्या राजनैतिक है और वही वास्तव में हमारे सभी प्रयासों के केन्द्र में होना चाहिए। “मध्य पूर्व का एक दिलचस्प पहलू यह है कि यहां काफ़ी राजनैतिक कूटनीति, मध्यस्थता जारी है।

“मेरी इच्छा है कि यही हम अन्य जगहों, जैसे कि सूडान में होते देखते, लेकिन हमें देखना होगा कि इससे हमें नतीजे मिलें”

7 अक्टूबर को दक्षिणी इसराइल में हमास के नेतृत्व में हुए आतंकी हमलों और लोगों को बन्धक बनाए जाने के क़रीब 9 महीने बाद, ग़ाज़ा पट्टी में इसराइली सैन्य कार्रवाई जारी है। इसमें बड़े पैमाने पर आम नागरिक हताहत हुए हैं, विशाल स्तर पर आम फ़लस्तीनी विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए हैं और घरों व अन्य नागरिक सेवाओं का विध्वंस हुआ है। मानवीय सहायता मामलों के लिए यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स, सुरक्षा परिषद में सदस्य देशों को सम्बोधित करते हुए।

आपात सहायता का प्रबन्ध : मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बताया कि उनका संगठन विश्व के अनेक हिस्सों में उपजे आपात हालात से निपटने के लिए निरन्तर प्रयासरत है। “हमने पिछले वर्ष 14.4 करोड़ लोगों तक सहायता पहुंचाई। जितने लोगों तक हम पहुंचना चाहते थे, यह संख्या उनकी दो-तिहाई है, एक ऐसे समय में जब सहायता धनराशि में समस्याएं थीं। “सहायता एजेंसियां असाधारण काम कर रही हैं, और विशेष रूप से, एक वैश्विक सहायता एजेंसी में अग्रिम मोर्चे पर कार्य हो रहा है।”

मगर, उन्होंने ध्यान दिलाया कि मानवीय सहायता पाने वाले लोगों की संख्या भले ही कितनी भी विशाल हो, कई लाख ज़रूरतमन्द, सहायता रक़म के अभाव में अब भी यूएन की पहुंच से दूर हैं। 

हैरान कर देने वाली विसंगति : अवर महासचिव ग्रिफ़िथ्स ने क्षोभ व्यक्त किया कि हर साल युद्ध में दो हज़ार अरब डॉलर से अधिक धनराशि ख़र्च की जाती है। इस रक़म और शान्ति स्थापना के लिए मानवीय सहायता धनराशि के बीच हैरान कर देने वाली विसंगति है। “और यह एक शर्मनाक बात है”

उन्होंने कहा कि हमें इस धारणा से मुक्त होना होगा कि युद्ध में दो हज़ार अरब डॉलर के निवेश का अर्थ, विश्व में सुरक्षा हासिल करना है। उनके अनुसार, यह सुरक्षा हासिल करने का रास्ता नहीं है। इस दुनिया को सुरक्षित बनाने का रास्ता, लोगों को अपने पड़ोसियों के प्रति उदार, दयालु बनाने का है।

यूएन के वरिष्ठ अधिकारी ने पिछले चार दशक युद्ध क्षेत्रों में उपजे हालात से निपटते हुए और कूटनैतिक गलियारों में बिताए हैं. ब्रिटेन के नागरिक, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने बढ़ती ज़रूरतों और लम्बे समय तक खिंच रही आपात परिस्थितियों की पृष्ठभूमि में, वैश्विक मानवतावादी प्रणाली में आमूल-चूल सुधार पर बल दिया।

समुदायों पर भरोसा : उन्होंने कहा कि हो सकता है कि बदलाव अब भी आ सकता है, मगर संयुक्त राष्ट्र और नागरिक समाज, दुनिया भर में मेज़बान सरकारों व क्षेत्रीय संगठनों को यह देखना होगा कि विश्व भर में शक्ति का पुनर्वितरण हो रहा है। “ये सम्भवत: कोई बुरी बात नहीं है... हमें यह सब इन समाजों में बसने वाले समुदायों के लिए करना है। वो नहीं जिसे हम सर्वोत्तम मानते हैं, बल्कि वो जिसके बारे में ये समुदाय बेहतर जानते हैं”

वयोवृद्ध मानवतावादी मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने सूडान में जब नागरिक समाज संगठनों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की तो उन्हें इस बात का एहसास हुआ। वे प्रतिनिधि राजधानी ख़ारतूम समेत देश के अन्य हिस्सों में अग्रिम मोर्चों पर आपात उपचार कक्ष की देखरेख कर रहे थे। “वे कहीं दूर नहीं चले जाते हैं। वे मेरे विचार में मानदंड है, हम सभी को यह कहने में सक्षम होने के लिए कि हां, यह [कार्य] करना निश्चित रूप से सही है”

मार्टिन ग्रिफ़िथ्स कुछ ही दिन बाद यूएन आपात राहत समन्वय के तौर पर अपना पदभार छोड़ने वाले हैं. यह एक ऐसी भूमिका है, जिसे यूएन प्रणाली में बेहद चुनौतीपूर्ण माना जाता है, चूंकि शीर्ष अधिकारी को निरन्तर यात्राओं पर जाना होता है और मीडिया का ध्यान भी उन पर केन्द्रित होता है।

उन्होंने अपने अनुभव के आधार पर सलाह देते हुए कहा कि बुनियादी रूप से यह समझना होगा कि एक जीवन को बचा लिया जाना भी, आपके सभी प्रयासों के महत्व को दर्शा देता है। “मैं समुदायों की सहनसक्षमता से चकित हूं। और मैं सहायताकर्मियों के साहस से हैरान हूं।”

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