कुमार विश्वास बोले, हम दोनों के धाम ढहाए.. आज उन्हीं प्रभु के प्यारों ने कैसे अवध सजाई

हिमा अग्रवाल

रविवार, 22 दिसंबर 2024 (11:53 IST)
Meerut mahotsava : विख्यात कवि कुमार विश्वास ने जैसे ही राम मंदिर में विग्रह प्राणप्रतिष्ठा पर लिखी लोकचेतना को झकझोरने वाली कविता 'चलो अब लौट चलें रघुराई.. तुमने महल दिलाए, कहां किसी के भवन गिराए, फिर क्यों असुर पक्ष ने हम दोनों के धाम ढहाए.. आज उन्हीं प्रभु के प्यारों ने कैसे अवध सजाई, अवध में आज गए रघुराई' को गाया दर्शक भावविभोर होकर झूम उठे।
 
मौका था मेरठ महोत्सव का, जिसमें डॉ. कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं से राजनीति, सरकार और नेताओं की चुटीले अंदाज में पोल खोली। उन्होंने मेरठ की जनता को बता दिया कि वह क्रांतिधरा का पुत्र है, यह वह शहर है जो सेना में सबसे ज्यादा जवान भेजता है, इस शहर की मधुर स्मृति, गलियां, स्टूडेंट जीवन रगों में दौड़ता है। 
 
शब्द शिल्पी विश्वास की रसधारा श्रोताओं को छू गई और पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। ऐसा समां बांधा कि पूरा पंडाल तालियों और ठहाकों से गूंज उठा। 
 
अंतरराष्ट्रीय मुद्दों से लेकर भारतीय राजनीति को आईना दिखाने वाले कुमार विश्वास के पैने व्यंग्य के आगे सर्दी भी रफूचक्कर हो गई। भामाशाह पार्क के खुले आसमान के नीचे घंटों तक श्रोताओं ने कुमार विश्वास के चुटीले कटाक्ष पर तखल से ताल मिलाई। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह पर अपने व्यंग्य बाण छोड़े तो दर्शक कुर्सियों से खड़े हो गये और अपनी हंसी नहीं रोक पायें।
 
कुमार ने चीन और पाकिस्तान पर कटाक्ष करते हुए कहा कि चीन क्या आंख निकालकर देखगा, पहले वह अपनी आंखों से खुद को ही देख लें। पाकिस्तान पर तंज करते हुए बोले। "पड़ोसी वही जो खुशहाली में साथ खड़ा हो, न कि वो जो सिर्फ सरहदों पर खड़ा दिखे। उनके तरकश से निकले व्यंग्य बाण वर्तमान परिस्थितियों पर कटाक्ष करके श्रोताओं को गुदगुदाने के साथ सोचने पर भी मजबूर कर गए।
 
कवि कुमार विश्वास ने जैसे ही अपनी मशहूर कविता 'जिंदगी से लड़ा हूं तुम्हारे लिये, कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, हम मोहब्बत में रंगों को पहचानते हैं' नये अंदाज में प्रस्तुत की तो वहां मौजूद श्रोताओं भावुक कर दिया। 
 
कुमार विश्वास ने श्रोताओं को अपने साथ जोड़े रखने के लिए काव्यपाठ के बीच-बीच में पश्चिम की लोक भाषा का पुट दिया, देशज शब्दों को दर्शकों ने आत्मसात करते हुए विश्वास को तालियां बजाकर सिर पर बैठा लिया। जैसे ही विश्वास मंच पर आयें और अंत में काव्य पाठ समाप्त किया, तो श्रोताओं की तालियों की आवाज उन्हें यह अहसास करवा गई कि वह मेरठ के लाल है और रहेंगे। मेरठ महोत्सव में कुमार विश्वास की यह प्रस्तुति लंबे समय स्मृतियों मे रहेगी।
 
प्रशासन की पहल पर पहली बार मेरठ महोत्सव का आयोजन किया गया है, 21 दिसंबर से 25 दिसंबर तक मेरठ महोत्सव में जानी-मानी हस्तियां आ रही है, आज हेमा मालिनी की गंगा अवतरण की प्रस्तुति होगी, आगामी दिनों में निति मोहन, हरदीप कौर और शंकर महादेवन मेरठ महोत्सव में चार चांद लगायेंगे।

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