Shankar Mahadevan Concert: पद्मश्री और ग्रैमी अवॉर्ड (Grammy Awards) विजेता शंकर महादेवन (
Shankar Mahadevan) के सुर-संगीत ने सर्द रात को गर्मजोशी से भर दिया। आधुनिक गंधर्व सुर सम्राट और संगीतकार शंकर महादेवन ने सुरों के ऐसे दीप जलाए कि श्रोता देर रात्रि तक झूमते रहे।
मेरठ में पहली बार अपनी प्रस्तुति देने आए महादेवन ने क्रांति धरा को नमन करते हुए कहा कि मेरठ की जनता का जोश-उत्साह देखने लायक है, माय डॉर्लिंग फ्रॉम मेरठ। यह सुनते श्रोताओं की सीटियां और हजारों हाथों ने तालियां बजाकर गर्मजोशी भर दी।
शंकर महादेवन ने सुरों की सतरंगी लौ के साथ शिव स्तुति 'वक्रतुंड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ:' के साथ मंच पर प्रवेश किया तो खुले आसमान के नीचे हजारों की संख्या में पहुंचे श्रोता अभिभूत हो गए और तालियों की गूंज के साथ मेरठ महोत्सव अविश्वसनीय और अविस्मरणीय बन गया।
उन्होंने 'गणनायक गुण शरीराय धीमहि एक दंताए', शिव तांडव स्तोत्रम् प्रस्तुत किया। शिव तांडव को उनके भक्त शंकर महादेवन ने अपने अंदाज में प्रस्तुत करते हुए उसमें 'ॐ नमः शिवाय' जाप, 'हर-हर महादेव' और 'भारतमाता' के जयकारे लगाए।
शंकर महादेवन ने जैसे ही 'हां ये ही रास्ता है तेरा, तूने अब जाना है, लक्ष्य तो हर हाल में पाना है' गाया तो वहां मौजूद दर्शक खड़े हो गए। श्रोताओं को अपने साथ जोड़ने के लिए उन्होंने बीट के साथ संगीत प्रेमियों को जोड़ा और बोले कि आप पहचानो, वहां मौजूद लोगों ने बीट के साथ सुर मिला दिए तो महादेव बोले 'आई लव यू मेरठ।' इतना जोश क्रांति भूमि पर ही मिल सकता है। इसके साथ ही फिल्मी गाना 'दिल चाहता है, कभी न बीते चमकीले दिन, हम न रहे यारों के बिन' गीत सुनाकर सभी के अंदर जोश भर दिया।
महादेवन के गीत 'जग हारा जोश भी हारा होश भी हारा', 'रंगीला चमकीले' और फिर पहुंच गए ढोलक और तासे के साथ धी ना पा की ताल बैठाने। ताल की धुन में वहां मौजूद लोग झूम रहे थे तभी उन्होंने 'बुमरो-बुमरो आए हो किस बगिया' सुनाया तो श्रोता कुर्सियों पर खड़े हो गए।
उन्होंने गुरु जाकिर हुसैन को 'कल हो न हो' गाते हुए श्रद्धांजलि दी। मां को समर्पित करते हुए 'डरता हूं मां' गाकर भावविभोर कर दिया। श्रोताओं के मन को पढ़ने के लिए उन्होंने अचानक से कहा कि अब वे लोरी सुनाएंगे तो लोगों को लगा अब मेरठ महोत्सव का समापन हो रहा है।
उन्होंने महादेवन को अंगूठा दिखाकर कहा कि लोरी नहीं सुननी, तभी महादेवन ने कहा लोरी की दूसरी लाइन सुनो, मजा आएगा और चुटकी ली कि महादेवन को अंगूठा दिखा रहे हो। तभी उनकी शिष्या कार्तिका ने 'हमने कलेजा रख दिया चाकू की नोंक पर...' और 'कजरारे-कजरारे...' गीत छेड़ा तो पूरा विक्टोरिया पार्क तालियों और सीटी से गूंज गया। वहां मौजूद सभी लोग कुर्सी छोड़कर मस्ती के साथ झूमने लगे।
अंत में उन्होंने 'सुनो गौर से दुनिया वालों सबसे आगे होंगे हिन्दुस्तानी' गाना गया और कहा कि आज से वर्षों पहले लिखे गाने में सबसे 'आगे होंगे हिन्दुस्तानी' था लेकिन अब वक्त बदल गया है अब 'सबसे आगे हम हैं हिन्दुस्तानी'।
मीडिया से बात करते हुए शंकर महादेवन ने कहा कि वे मेरठ की धरती पर पहली बार आए हैं। जब वे शास्त्रीय संगीत सीख रहे थे तो उनके रियाज के लिए पहला तानपुरा मेरठ से आया था। मेरठ जैसी क्वालिटी कहीं और नहीं मिलती है। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत संगीत के प्रति बच्चों का रुझान देखते ही बनता है। रियलिटी शो में कठिन से कठिन शास्त्रीय रागों और बंदिशों को वे आसानी के साथ आत्मसात करते हुए गा रहे हैं।
महादेवन ने मीडिया को बताया कि वे दक्षिण में गायक की भूमिका निभाते हैं जबकि मुंबई में गायक और संगीतकार की भूमिका में होते हैं। विश्व की सबसे बड़ी म्यूजिक अकादमी चला रहे हैं और 15 सालों में 90 देशों तक आवाज पहुंच चुकी है।