लेकिन अब 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती नई रणनीति के साथ मैदान में उतरना चाहती हैं जिसके चलते बहुजन समाज पार्टी ने राष्ट्रपति का चुनाव हो या फिर उपराष्ट्रपति का चुनाव, सीधे तौर पर विपक्ष के खिलाफ एनडीए के समर्थन की घोषणा की। लेकिन इसके बाद बहुजन समाज पार्टी पर कई सवाल खड़े होने लगे कि क्या बहुजन समाज पार्टी बिना किसी शर्त व समर्थन के क्यों एनडीए के साथ खड़ी हो रही है?
ऐसे ही सवालों का जवाब राजनीतिक जानकार अनुराग कुमार ने देते हुए बताया कि बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती में जितने भी फैसले लिए हैं, उसके पीछे सोची-समझी रणनीति मायावती की रही है। उन्होंने बताया कि अगर इस रणनीति में वे कामयाब रहीं तो किसी जमाने में पश्चिमी यूपी, जो बसपा का सबसे मजबूत गढ़ माना जाता था, जाट, जाटव और मुस्लिम के सहारे बसपा बाजी मारती रही है, लेकिन पिछले कुछ चुनावों में इसमें सेंधमारी हुई है और इस सेंधमारी को खत्म करने के लिए बसपा सुप्रीमो प्रयासरत हैं। सीधे तौर पर कहें तो बसपा सुप्रीमो मायावती खोए हुए जनाधार वापस पाने की चेष्टा में लगी हुई हैं।
उन्होंने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती एक तीर से कई निशाने साधने की कोशिश कर रही हैं और अब तक के लिए गए फैसले के जरिए बसपा सुप्रीमो मायावती पश्चिमी यूपी में जाट-दलित और मुस्लिम वोट बैंक को साधकर समाजवादी पार्टी व रालोद के लिए चुनौती खड़ी करने की कोशिश में हैं। कुमार ने आगे बताया कि खोए हुए जनाधार को वापस पाने में जुटी बहुजन समाज पार्टी क्या इस रणनीति से अपना जनाधार वापस आ पाएगी? यह तो आने वाला वक्त ही तय करेगा।