उत्तरप्रदेश में बसपा सुप्रीमो मायावती और पार्टी के चुनाव चिहन हाथी की कीमती मूर्तियां सुरक्षित रहेंगी। सपा के स्टार प्रचारक अखिलेश यादव ने कहा कि सत्ता परिवर्तन के बाद इन मूर्तियों को हटाया नहीं जाएगा।
अखिलेश ने सपा के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी ताकि पिता एवं सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को फिर से सत्ता पर काबिज होने में मदद मिल सके। पिछले साल एक चुनाव प्रचार के दौरान अखिलेश ने कहा था कि उनकी पार्टी के सत्ता में आने के बाद इन मूर्तियों का नामोनिशान नहीं मिलेगा।
इंजीनियर से राजनेता बने 39 वर्षीय अखिलेश से जब संवाददाताओं ने आज पूछा कि क्या मायावती द्वारा लगाई गई मूर्तियों को हटाया जाएगा? उन्होंने कहा कि दलित नेताओं की मूर्तियों और स्मारकों को कोई खतरा नहीं है।
अखिलेश ने पिछले साल कहा था कि उत्तर प्रदेश चुनावों के बाद मायावती की मूर्तियां उसी तरह हटा दी जाएंगी, जैसा हाल में दुनिया के कुछ देशों में तानाशाहों के मामले में हुआ है।
उन्होंने समाजवादी क्रान्ति रथ यात्रा के दौरान बुंदेलखंड में कहा था कि हाल के दिनों में कुछ देशों में तानाशाहों की मूर्तियां हटाई गई हैं। 2012 में जिस दिन सपा सरकार सत्ता में आयी, मायावती की भारी भरकम मूर्तियों का नामोनिशान नहीं होगा।
उन्होंने कहा था कि जिन पाको’ और जगहों पर स्मारक बनाए गए हैं और जहां भारी भरकम राशि खर्च की गई है, उन जगहों का इस्तेमाल अस्पताल और शैक्षिक संस्थानों के निर्माण के लिए किया जा सकता था।
चुनाव आयोग के आदेश के बाद करीब 52 दिन परदे में रहने वाली मायावती की 11 प्रतिमाएं और लखनऊ एवं नोएडा में 200 से अधिक प्रतिमाओं से चार मार्च को परदा हटा लिया गया। (भाषा)