-गुवाहाटी से अम्बेश्वर गोगोई आतंक की आग में झुलसा असम अब राख के ढेर में तब्दील हो गया है। शहर के हर कोने से विस्फोट में जख्मी हुए बेगुनाह लोगों की चीखें सुनी जा सकती हैं। सही अर्थों में यहाँ के पूरे आलम में दर्द की चीत्कार है। मंजर मातमी है और मजलूम मजबूर...।
भरा हुआ है हर अस्पताल : घायलों को गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज, महेंद्र मोहन चौधरी, डाउन टाउन, जीएनआरसी अंतरराष्ट्रीय हॉस्पिटल और दिसपुर पॉली क्लिनिक में दाखिल कराया गया है। जीएमसीएच मार्ग स्थित मर्च्युरी में अभी भी सात शव ऐसे हैं, जिनकी शिनाख्त होना बाकी है। इसी के साथ धमाकों में मरने वालों की तादाद 83 हो गई है। जीएमसीएच के डॉक्टरों के मुताबिक कई घायलों की हालत नाजुक है। हालाँकि सरकार ने कुल 77 लोगों की मौत की पुष्टि की है।
मददगारों की नहीं है कमी : विस्फोट प्रभावित लोगों की मदद के लिए समूचा राज्य उमड़ रहा है। इसकी बानगी ब्लड बैंक पर लगी आधे किमी तक लंबी कतारों के रूप में देखी जा सकती है। हजारों रक्तदाता 3-4 घंटे खड़े रहकर खून देने के लिए तत्पर हैं। मददगारों के जज्बे का आलम यह है कि अब जीएमसीएच के ब्लड बैंक में खून रखने की जगह ही नहीं है। जीएमसीएच के असिस्टेंट सर्जन डॉ. माधव राजवंशी ने रक्तदाताओं से अपील की है कि वे चौबीस घंटे बाद आकर खून दें।
अधूरा रह गया विपुलनाथ का सपना : वकालत की दुनिया का कामयाब चेहरा बनने की विपुलनाथ की हसरत आखिरकार आतंकियों के नापाक मंसूबों के कारण अधूरी रह गई। पिछले साल गुवाहाटी विश्वविद्यालय के कानून का छात्र रहा यह बदनसीब नौजवान गुरुवार को धमाकों के वक्त गुवाहाटी की सीजेएम कोर्ट में ही था।
वकालत की प्रैक्टिस करने के लिए रोज की तरह विपुलनाथ सुबह 8 बजे हाईकोर्ट पहुँचा। इसके बाद वह अपने दो दोस्तों के साथ हाईकोर्ट से महज 200 मीटर की दूरी पर मौजूद सीजेएम कोर्ट गया। इसी बीच कोर्ट में धमाका हो गया। हालाँकि विपुलनाथ के दोस्तों की किस्मत अच्छी होने से वे विस्फोट से 2 मिनट पहले ही विपुलनाथ से अलग हो गए। विपुलनाथ के शव की शिनाख्त करने के लिए उसके 83 साथियों से बात की गई। इस खबर के लिखे जाने के वक्त ही उसके परिजन अपने जिगर के टुकड़े को पहचान पाए थे।
विपुल की याद में जलाए दीप : गुवाहाटी विश्वविद्यालय के छात्रों ने शुक्रवार को दीप जलाकर अपने दोस्त विपुलनाथ को श्रद्धांजलि अर्पित की। सभी छात्र शनिवार शाम 5 बजे शांति मार्च निकालेंगे।