संजय दत्त की मां नर्गिस का जब निधन हुआ था तब संजय दत्त ड्रग्स के नशे में चूर थे और उन्हें होश-हवास नहीं था कि क्या हो गया। पहली फिल्म 'रॉकी' के बाद उन्हें जिन निर्माताओं ने साइन किया उन्हें खून के आंसू रोने पड़े क्योंकि संजय दत्त ने उन्हें खूब सताया। वे ड्रग्स के कारण समय पर नहीं पहुंचते थे और निर्माता को लाखों रुपये का चूना लगता था। संजय दत्त पर अवैध हथियार रखने का मुकदमा चला। उन्होंने एक सुपरस्टार के बंगले के बाहर गोलियां चलाई थी क्योंकि जिस अभिनेत्री को वे पसंद करते थे उसका रोमांस उस सुपरस्टार से चल रहा था।
संजय दत्त ने भलाई का कोई काम नहीं किया। वे अभिनेता भी औसत दर्जे के थे। अस्सी के दशक में जब उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा था तब मार-पीट की फिल्में चला करती थी। ऊंचे-पूरे कद के संजय दत्त इस तरह की फिल्मों में फिट हो गए। कभी उन्होंने कोई बड़ी ब्लॉकबस्टर फिल्में भी नहीं दी। केवल मुन्नाभाई सीरिज की दो फिल्में ही उनके लंबे करियर की उपलब्धि मानी जा सकती हैं।
संजू जैसी फिल्म पर हिरानी ने अपने जीवन के महत्वपूर्ण तीन-चार साल लगाए, इस दौरान वे इससे बेहतर फिल्म बना सकते थे। निश्चित रूप से 'संजू' में मनोरंजन के तत्व होंगे, लेकिन हिरानी इससे कहीं बेहतर विषय पर फिल्म बना सकते थे। शायद वे दोस्ती का कर्ज अदा करने के मूड में हों।