दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है, आख़िर इस दर्द की दवा क्या है?
ये शेर मिर्जा गालिब का है, जो लिखा तो गया था इश्क के मामलों के लिए, लेकिन इन दिनों जिस तरह से हार्ट अटैक के मामले सामने आ रहे हैं, उन्हें देखकर लगता है कि यह इन घटनाओं के लिए भी उतना ही मोजूं है...
उम्र 17 साल हो या 70 साल। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। दिल हर उम्र के लोगों को धोखा दे रहा है। छींक आई और हार्ट अटैक आ गया। मंदिर में पूजा करते हुए हो गई मौत। शादी के फंक्शन में नाचते हुए गिरा और मौत आ गई। जिम में वर्कआउट, योगा या मॉर्निंग वॉक करते हुए भी लोगों को हार्ट अटैक आ रहे हैं। पिछले दिनों इंदौर में 16 साल की लड़की की हार्ट अटैक से मौत ने एक बार फिर से सब को चौंका दिया है। इस तरह अचानक दिल की
धड़कनें रूक जाने का यह एक बेहद गंभीर और डराने वाला ट्रेंड बन गया है। मोटे तौर पर देखने से पता चलता है कि दिल ने अपने थमने का पैटर्न बदल लिया है। यह आशंका जाहिर की जा रही है कि ऐसा कोरोना संक्रमण और वैक्सीन लगने के बाद हो रहा है। इसकी कोई पुख्ता रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई है। वहीं, डॉक्टर्स भी इसे लेकर खुलकर बोलने के लिए तैयार नहीं हैं। हालांकि डॉक्टर इतना जरूर मानते हैं कि अब हार्टअटैक नौजवानों को अपना शिकार बना रहा है। इसके पीछे डॉक्टर्स लाइफस्टाइल और तनाव जैसे फैक्टर्स को मानते हैं। कुल मिलाकर डॉक्टरों के पास अटकलों के सिवाए कोई पुख्ता जवाब नहीं है।
वेबदुनिया ने एक के बाद एक हो रही हार्ट अटैक की घटना और इस नए पैटर्न को समझने के लिए कई विशेषज्ञों से बात की। देखिए वेबदुनिया की ये कवर स्टोरी।
यूपी में एक हफ्ते में 98 लोगों की हार्ट अटैक से मौत
यूपी में एक हफ्ते यानी 1 से 7 जनवरी के बीच हार्ट अटैक से 14 लोगों की मौत हो गई। इसमें इलाज के दौरान 6 लोगों की जानें गईं। वहीं हार्ट अटैक से पीड़ित 8 लोगों को मृत ही अस्पताल लाया गया था। इसी दिन हार्ट अटैक के कारण 54 मरीजों को भर्ती किया गया। इसके साथ ही बीते एक हफ्ते में जिन 98 लोगों की मौत रिपोर्ट हुई है, उनमें 50 लोग 60 साल से अधिक उम्र के थे।
लाइफस्टाइल बड़ी वजह : अपोलो अस्पताल इंदौर में कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अखिलेश जैन ने वेबदुनिया को बताया कि यह सही है कि इन दिनों ज्यादातर लोगों को अटैक आ रहे हैं। लेकिन यह पिछले करीब एक दशक से हो रहा है। उनका कहना है कि इसके पीछे कई वजहें हैं, जिनमें लाइफस्टाइल और तनाव शामिल हैं। डॉक्टर जैन का कहना है कि ह्दय रोग एक लाइफस्टाइल बीमारी है। हालांकि बहुत सारे रिस्क फैक्टर्स होते हैं। इनमें ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और हेरिडेटरी यानी फैमिली हिस्ट्री भी हैं। उनका कहना है कि बदलती लाइफस्टाइल ने दिल का पूरा कबाड़ा किया है।
Arrhythmia है मौत का कारण : डॉ अखिलेश जैन ने बताया कि स्टडी कहती है जब हार्ट अटैक आता है तो 20 से 25 प्रतिशत मरीज अस्पताल नहीं पहुंच पाते हैं। हार्टअटैक में ज्यादातर मौत की वजह होता है Arrhythmia जिसका मतलब होता है irregular heartbeat. यानी दिल की धड़कनों का अनियमित हो जाना। हमारा दिल जन्म से लेकर मौत तक काम करता रहता है। इसे संचालित करने के लिए ब्लड सप्लाय के लिए दिल में वायर का एक नेटवर्क होता है, जब अटैक आता है तो इस नेटवर्क का सप्लाय भी प्रभावित हो जाता है। अब निर्भर करता है कि किस केस में सिर्फ दर्द और दूसरे लक्षण आते हैं और किसमें धड़कनें अचानक से रुक जाती हैं। अगर दर्द होता है, पसीना आता है और बीपी कम होता है तो मरीज को अस्पताल जाने का वक्त मिल जाता है, लेकिन हार्ट के तारों में असर हो या धड़कन खराब हो जाती है तो समय नहीं मिलता। हालांकि ऐसे में तुरंत सीपीआर और समय पर एंबुलेंस मिल जाए तो जान बच सकती है।
दिल की धमनियों की क्या भूमिका : डॉक्टरों के मुताबिक सर्दियों में दिल की धमनियों को ज्यादा काम करना पड़ता हैं। वैसे ही सर्दियों में दिल पर दबाव होता है, ऐसे में टैंपरेचर वैरिएशन एक बड़ा कारण है। हम गर्म बिस्तर से एक दम से ज्यादा सर्दी में चले जाते हैं। इससे दिल की नसें सिकुड़ जाती हैं। बीपी भी बढ़ जाता है। ऐसे में इस सीजन में हार्टअटैक के केस बढ़ जाते हैं।
क्या ये कोरोना या वैक्सीन का असर : डॉ अखिलेश जैन ने बताया कि कोरोना के बाद या वैक्सीन से दिल में दिक्कत हुई हो इस बात के कोई पुख्ता प्रमाण तो नहीं है। न ही कोई रिसर्च आई है, लेकिन कोरोना काल में ज्यादातर मौतें रिस्पेरेट्री फैल्यूर के कारण से हुई हैं। कोरोना वायरस का प्राइमरी टारगेट लंग्स को खराब करना था। लेकिन बहुत सी मौतें हार्टअटैक से भी हुई हैं। ब्रेन स्ट्रोक से और पल्मोनरी मोनिज्म से भी हुई हैं। इसलिए, ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं वायरस ने वैस्कूलर सिस्टम यानी आर्टरीज को भी इन्वॉल्व किया है। जिससे हार्ट कमजोर हुआ है। हालांकि अभी वायरस को लेकर और भी रिसर्च और डेटा आना बाकी है।
नई नहीं हैं हार्टअटैक की घटनाएं : विशेषज्ञों के मुताबिक देशभर में हार्ट अटैक से हो रही मौत की घटनाएं कोई नई बात नहीं है। पहले भी इस तरह से हार्ट अटैक के केस आते रहे हैं, लेकिन जब से सोशल मीडिया आया है और लोगों में वीडियो कैप्चर करने की आदत बढ़ गई है तब से ये घटनाएं ज्यादा देखने को मिल रही हैं।
क्यों हो जाती है नौजवानों की मौत : जब किसी 60 साल के व्यक्ति को अटैक आता है तो उसे उतना डैमेज नहीं होता है, जितना एक नौजवान को अचानक आए अटैक में होता है, क्योंकि 60 और 70 साल के व्यक्ति की हार्ट की धमनियों में धीरे-धीरे कुछ स्तर तक ब्लॉकेज यानी पहले से ही बन जाते हैं। ऐसे में उनमें कोलेटल भी डेवलेप होता है। ऐसे में उसे अटैक आता है तो उतना डैमेज नहीं होता। जबकि कम उम्र में या नॉर्मल हार्ट में अचानक आए अटैक से आर्टरी डैमेज हो जाती है। जिससे नौजवनों को अटैक आता है तो अचानक मौत की आशंका ज्यादा रहती है।
इंदौर की फूड हैबिट कितनी जिम्मेदार?
खान-पान में तो संयम बरता जाना चाहिए, जब मैं तेल घी का खाने का मना करता हूं तो खासतौर से सेव- नमकीन के लिए मना करता हूं, क्योंकि सेव- नमकीन इंदौर की डाइट में बहुत कॉमन है। अगर रोज की आदत में होगा सराफा और 56 दुकान जाकर खाना तो तकलीफ हो सकती है। इसलिए तली हुई चीजों के लिए भी कायदे तय करना होंगे।
क्या कोरोना-वैक्सीन ने बढ़ाए क्लॉट के मामले?
दूसरी तरफ शहर के जाने-माने डॉक्टर भरत रावत मानते हैं कि कोरोना और वैक्सीन के बाद ब्लड क्लॉट के मामले बढ़े हैं। इसकी आशंका भी ज्यादा है। मैं कह सकता हूं कि कोविड के बाद एकाएक क्लॉट बढ़ने की संख्या सामने आई है। हालांकि यह सिर्फ हार्ट में ही नहीं, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों में भी क्लॉट बनने लगे हैं। दिल का दौरा क्लॉट बनने से ही आता है। इसके साथ ही यंग लोगों को हेवी एक्सरसाइज का क्रेज, प्रोटीन सप्लिमेंट लेना, किसी न किसी तरह की होड़ करना। जरूरत से ज्यादा तनाव लेना, ज्यादा खाना, ज्यादा व्यायाम करना यह सब वजह इसमें शामिल है।
क्या कहा था फ्लोरिडा के डॉ जोसेफ लैडेपोव ने?
इसी बीच फ्लोरिडा के एक सर्जन जनरल डॉ जोसेफ लैडेपोव (DrJoseph Ladapo ) का कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर दिया बड़ा बयान याद आता है। उन्होंने अक्टूबर 2022 में कहा था कि कोविड-19 की एमआरएनए (COVID-19 mRNA) वैक्सीन से हृदय से जुड़ी मौतों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर 18 से 39 की उम्र के पुरुषों में इस बात का जोखिम अधिक देखा जा रहा है। दरअसल, फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने कोविड वैक्सीन को लेकर एक जांच की थी। इसी जांच में पता चला था कि वैक्सीन की वजह से हार्ट अटैक से मरने का खतरा बढ़ा है।
क्या तनाव है कारण : क्या कहते हैं मनोचिकित्सक?
ख्यात मनोचिकित्सक डॉ वीएस पाल ने वेबदुनिया को बताया कि तनाव हमारी पूरे शरीर को प्रभावित करता है। इसका मतलब यह है कि हमारा शरीर विषम परिस्थिति के लिए तैयार हो जाता है। रक्त का प्रवाह मसल्स में ज्यादा होता है। दिल की धड़कन बढ़ जाती है। ब्ल्ड प्रेशर बढ़ जाता है अगर यह ज्यादा समय तक रहता है तो यह बीमारी के लिए जिम्मेदार मानी जाती है। यह तनाव दिल, दिमाग, पेट सभी तरह के अंगों को प्रभावित करता है।
जहां तक युवाओं में हार्ट अटैक की बात है तो इन दिनों युवा ज्यादा तनाव में रहते हैं अलग- अलग कारणों से। तनाव के समय में हार्ट को ब्लड की मांग ज्यादा रहती है, ऐसे में अगर यह लंबे समय तक मांग रहे तो दिल को प्रभावित कर सकता है। इसलिए हार्ट अटैक का संबंध हमारी लाइफस्टाइल से भी होता है।
क्या होता है तनाव : हम ट्रेन पकड़ने के लिए भागते हैं, या बच्चे एक्जाम के पहले तनाव में आ जाते हैं। ऑफिस में टारगेट पूरा करना, कुछ चीज परफॉर्म करने से पहले जो नर्वसनेस होती है यह सब एक तरह का तनाव ही है। अगर यह सब चीजें बिना वजह आने लगें तो यह हायर स्ट्रेस की स्थिति होती है।
कितना तैयार है प्रशासन?
हम अपने मेडिकल के स्टूडेंट को थीसीज देते हैं। इसके साथ ही आईसीएमआर भी समय- समय प्रोजेक्ट जारी करता है। इसमें हम हाइपर टेंशन और सीरम कोलेस्ट्रॉल को को-रिलेट करते हुए रिसर्च कर रहे हैं। लेकिन मैं कहना चाहूंगा कि एक्सरसाइज करें, एक्सेस एक्सरसाइज से बचें। ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच रेग्यूलर करवाएं और बॉडी में टेंपरेचर वैरिएशन न होने दें।- डॉ संजय दीक्षित, डीन एमजीएम कॉलेज इंदौर।
क्या कहती है स्पेन की रिपोर्ट?
स्पेन में हुई एक रिसर्च बताती है कि सुबह 3-4 बजे और उसके बाद होने वाले हार्ट अटैक का कारण यह हो सकता है कि इस अवधि में शरीर में PAI-1 कोशिकाएं ज्यादा सक्रिय होती है। जो रक्त के थक्कों को टूटने से रोकती हैं। ब्लड में जितनी अधिक PAI-1 कोशिकाएं होती हैं, रक्त के थक्के बनने का जोखिम उतना ही ज्यादा होता है। जिससे दिल का दौरा पड़ता है। अधिक दबाव पड़ जाने और सोने की स्थिति में ब्लड वेसेल्स सिकुड़ी हुई होती हैं। इस वजह से दिल तक होने वाली खून की सप्लाई प्रभावित हो जाती है।
कैसे बचें हार्ट अटैक के खतरे से?
रोजाना 40 मिनट में 3 किमी तक वॉक करे।
एक हफ्ते में 300 मिनट से ज्यादा व्यायाम करना खतरनाक है : अमेरिकन हार्ट ऐसोशिएशन
एक्सरसाइज 3 तरह की होती है। माइल्ड, मोडेटस्ट और सिवियर।
इन तीनों व्यायाम में से अपनी उम्र और क्षमता के मुताबिक चुनें।
व्यायाम के पहले अपने डॉक्टर की सलाह लें।
फूड और लाइफस्टाइल भी संयमित रखें।
स्मोकिंग, एल्कोहल और फास्ट फूड से दूर रहें।
ऑफिस और घर का तनाव न लें।
ब्लड प्रेशर और डायबिटीज की जांच करवाएं।
समय- समय पर सेलिब्रेट करें।
कितने तरह के हार्ट अटैक होते हैं और उनके लक्षण क्या हैं। 1. उच्च रक्तचाप (Hypertension)
हृदय रोग की सबसे आम टाइप में से एक है हाई ब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन। सामान्य स्थितियों में खून ब्लड वेसेल्स की दीवारों पर एक विशिष्ट दबाव डालता है, जिसे ब्लडप्रेशर कहा जाता है। कई स्थितियों में यह प्रेशर इतना ज्यादा हो सकता है कि शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगे। यह धमनियों में घूम रहे खून की की मात्रा बढ़ने या धमनियों के व्यास में कमी आने से हो सकता है।
लक्षण : इस स्थिति के कारण कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते। बहुत से लोग इसे जाने बिना भी पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि कुछ रोगियों को कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है। उनमें सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ और नाक से खून आना शामिल हैं।
2. कॉरेनरी हृदयरोग (CHD)
कॉरेनरी हृदय रोग एक ऐसी स्थिति है जो हृदय में खून भेजने वाली धमनियों पर असर डालता है। कई कारणों से ब्लड वेसेल्स के लुमेन को कम हो जाते हैं जिससे दिल को ऑक्सीजन और खून नहीं मिलता। इस बीमारी की सबसे आम जटिलताओं में से एक है मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (myocardial infarction, MI) जिसे हार्ट अटैक या दिल का दौरा भी कहा जाता है। यह तब होता है जब धमनी पूरी तरह से ब्लाक हो जाती है। इसका अर्थ है अपर्याप्त ब्लड सप्लाई। नतीजतन कोशिकाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होता और वे मिनटों में मर जाती हैं।
लक्षण : कॉरेनरी हृदयरोग का मुख्य लक्षण एनजाइना पेक्टोरिस या सीने में दर्द है। ज्यादातर मामलों में यह तेज फिजिकल एक्टिविटी के बाद उभरता है, छाती के बीचोंबीच होता है, चलने-फिरने में रुकावट डालता है और आमतौर पर कुछ मिनटों के आराम के बाद गायब हो जाता है।
सीने में दर्द
थकान
सांस लेने में कठिनाई
पूरे शरीर में कमजोरी
सिरदर्द
सिर चकराना (Dizziness)
3. हार्ट फेल्योरदिल की बीमारी के सबसे गंभीर टाइप में से एक हार्ट फेल्योर है। यह एक डायग्नोस्टिक सिंड्रोम है जिसमें हृदय प्रभावी रूप से पंपिंग नहीं कर पाता। दूसरे शब्दों में, कार्डियक आउटपुट अपर्याप्त है। आमतौर पर जब हार्ट फेल्योर होता है, तो वेंट्रिकल मसल बहुत कमजोर हो जाती है। इसलिए यह सही ढंग से सिकुड़ नहीं पाता। इसकी संरचना या फंशन में कई बदलाव इसका कारण बन सकते हैं। दरअसल यह कुछ हार्ट कंडीशन का अंतिम स्टेज है।
लक्षण : सांस लेने में कठिनाई
लेटते समय सांस लेने में असमर्थता
गुलाबी बलगम वाली खांसी
निचले अंगों की सूजन
थकान
जलोदर (Ascites)
4. जन्मजात हृदय रोग (Congenital heart disease)
बच्चों में हृदय की समस्याओं के सबसे आम कारणों में से एक जन्मजात हृदयरोग है। वे संरचनात्मक जन्म दोष हैं जो गर्भावस्था में ही हो जाते हैं, जब बच्चे का दिल बन रहा होता है। इस तरह वे अकेले नहीं बल्कि खामियों का पूरा समूह होते हैं।
लक्षण : जन्मजात हृदयरोग के लक्षण आमतौर पर जन्म के बाद शुरुआती दिनों में दिखाई देते हैं। उनमें से कुछ हैं, तेजी से सांस लेना, बैंगनी होंठ, फीडिंग में कठिनाई और ग्रोथ से जुडी समस्याएं। दूसरी ओर जो लोग जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए थे और वयस्कता तक पहुंचते हैं, वे एरिद्मिया (arrhythmia), सांस की तकलीफ, त्वचा की खराबी, थकान और निचले अंगों में सूजन से पीड़ित होते हैं।
5. रयूमेटिक ह्रदय रोग (Rheumatic heart disease)
विभिन्न प्रणालीगत रोग हृदय पर असर डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए रयूमेटिक फीवर (Rheumatic fever) या आमवाती बुखार। यह एक तरह का हृदयरोग है जो उस स्टैफिलोकोकस स्ट्रेन (staphylococci) के कारण उभरता है जो कनेक्टिव टिशू पर हमला करता है, जिससे ऑटोइम्यून रिएक्शन होता है। इस तरह यह मांसपेशियों और हृदय के वाल्व को प्रभावित करता है, जिससे रयूमेटिक ह्रदय रोग के मामलों में बहुत नुकसान होता है। ये नुकसान इतने गंभीर होते हैं कि वे गंभीर हार्ट फेल्योर और यहां तक कि मौत का कारण बन सकते हैं।
लक्षण : बुखार जो 101 °F से ज्यादा न हो
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
सामान्य कमज़ोरी
उल्टी
गठिया
6. कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathies)
कुछ हृदयरोग, जैसे जन्मजात हृदयरोग में सर्जरी की जरूरत होती है। कार्डियोमायोपैथी ऐसे हृदयरोग हैं जो दिल की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं। वे इसे बनाने वाली कोशिकाओं के आकार और वितरण को संशोधित करते हैं। इस तरह हृदय में बदाव आ जाता है। कार्डियोमायोपैथियों की तीन सबसे आम टाइप डायलेटेड, हाइपरट्रॉफिक और प्रतिबंधक हैं। पहले में वेंट्रिकल बढ़े हुए हैं। दूसरे में वेंट्रिकुलर दीवार मोटी हो जाती है। अंत में, प्रतिबंधात्मक कार्डियोमायोपैथी तब होती है जब हृदय की दीवारें (वेंट्रिकल) कनेक्टिव टिशू की घुसपैठ के कारण कठोर होती हैं
लक्षण : फिजिकल एक्टिविटी के बाद सांस की तकलीफ
निचले अंगों की सूजन
थकान
दिल की घबराहट
चक्कर आना और बेहोशी