बवासीर जिसे पाइल्स एवं अर्श रोग भी कहा जाता है, बेहद तकलीफदेह होता है। इस समस्या में रोगी को गंभीर कब्ज तो होता ही है, मलद्वार में असहनीय तकलीफ, कांटों सी चुभन, मस्से एवं घाव, जलन आदि गंभीर समस्याएं हैं, जो रोगी को कमजोर बना देती हैं और मल द्वारा रक्त की भी हानि होती है। ऐसे में इसका सही इलाज ही रोगी को इस समस्या में राहत दे सकता है, अन्यथा तकलीफ बढ़ सकती है।
बवासीर की बीमारी जब उग्र रूप धारण कर लेती है, तब उस स्थिति में त्रिफला चूर्ण पेट की बीमारी के लिए अमृतस्वरूप है। पेट (शौच) की समस्याएं जब गंभीर रूप धारण करती हैं, तभी बवासीर की बीमारी होती है, ऐसा सभी जानकारों का कहना है।
इसके सेवन के बाद उड़द की दाल, चने की दाल और बैंगन के सेवन से भी तकलीफ महसूस नहीं होती है। रोग निवारण के लिए प्रतिमाह करीब 240 ग्राम त्रिफला चूर्ण का नियमित सेवन आवश्यक है। इससे काफी स्वास्थ्य लाभ होगा।