HIV AIDS : क्यों लगाते हैं लोग रेड रिबन...

शुक्रवार, 29 नवंबर 2019 (18:58 IST)
आरंभी माणके 
एचआईवी पॉजिटिव यानी एड्स एक गंभीर एवं खतरनाक बीमारी है। एचआईवी पॉजिटिव होने के बाद इसकी जानकारी से इंसान टूट जाता है। उसे कोई रास्ता नहीं सूझता। एचआईवी पॉजिटिव लोगों की मदद और उनके दर्द को कम करने की कोशिश का जज्बा दुनियाभर में लोग अलग-अलग तरीके से जाहिर करते हैं। क्या आप जानते हैं कि क्यों लोग लाल रिबिन लगते हैं? कैसे ये एड्स का प्रतीक बन गया? आइए जानते हैं....
 
विश्व एड्स दिवस पर अमेरिका के व्हाइट हाउस द्वारा एड्स रिबन की शुरुआत की गई और यह एक प्रतिष्ठित प्रतीक बन गया। अब एड्स के प्रति जागरूकता के लिए लाल रिबन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त प्रतीक बन गया है, जो एचआईवी से पीड़ित लोगों के समर्थन में पहना जाता है। इस वर्ष भी 1 दिसंबर को, दुनिया भर के लोग अपने लाल रिबन पर पिनिंग करेंगे क्योंकि वे विश्व एड्स दिवस मनाते हैं।  
 
हमारे देश में जिन्हें एड्स है वे आज भी यह बात स्वीकारने से कतराते हैं। इसकी वजह है घर में, समाज में होने वाला भेदभाव। कहीं न कहीं आज भी एचआईवी पीड़ित व्यक्तियों के प्रति भेदभाव की भावना रखी जाती है। यदि उनके प्रति समानता का व्यवहार किया जाए तो स्थिति और भी सुधर सकती है।
 
एड्स के खिलाफ आज हर शहर में अनेक समाजसेवी और सरकारी संस्थाएं काम कर रही हैं। इनका उद्देश्य लोगों को जागरूक करना, एड्स के साथ जी रहे लोगों को समाज में उचित स्थान दिलाना, उनका उपचार कराना आदि है। इंदौर में इन संस्थाओं में से कुछ हैं- फेमेली प्लानिंग एसोसिएशन ऑफ इंडिया, विश्वास, भारतीय ग्रामीण महिला संघ, मध्यप्रदेश वॉलेन्ट्री हेल्थ एसोसिएशन, जिला स्तरीय नेटवर्क, वर्ल्ड विजन आदि। इसके अलावा एमवाय अस्पताल, जिला अस्पताल, लाल अस्पताल में एड्स की काउंसलिंग, टेस्ट और पोस्ट काउंसलिंग की जाती है।
 
 

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