Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य की सलाह आज भी प्रासंगिक हैं। उन्होंने ही चंद्रगुप्त मौर्य को सम्राट बनाया था और वे ही बिंदुसार के सलाहकार भी थे। उनकी मौत एक रहस्य है। कहते हैं कि एक षड्यंत्र के तरह उन्हें मार दिया गया था। हालांकि कई इतिहासकार मानते हैं कि उन्होंने अपने अंतिम समय में जैन संत से दीक्षा लेकर संन्यास ले लिया था।ALSO READ: चाणक्य नीति के अनुसार इन 7 लोगों में से किसी एक को भी सोते हुए नहीं जगाएं अन्यथा मुसीबत में पड़ जाएंगे
1. योजना बनाएं : जब कोई साथ न दें और मन में निराशा फैल जाए तो ठोस रणनीति का निर्माण करना चाहिए। बुरे समय में इस नीति में कार्य करने से न केवल संकटों से बाहर निकला जा सकता है बल्कि आप विजयी भी हो सकते हैं। यदि आपके पास कोई रणनीति या योजना नहीं है तो आप हाथ पर हाथ रखकर बस अच्छे समय का इंतजार ही करते रहेंगे।
2. सेहत और सुरक्षा का रखें ध्यान : जब कोई साथ न दें और मन में निराशा फैल जाए तो सबसे जरूरी है अपनी और अपने परिवार की सेहत का ध्यान रखना। इसी के साथ अपने परिवार की सुरक्षा का ध्यान रखना। यह तभी संभव होगा जबकि आप कोई ठोस नीति या योजना बनाकर काम करेंगे। हालांकि समय कैसा भी हो व्यक्ति को अपने परिवार के बारे में पहले सोचना चाहिए।ALSO READ: Chanakya Niti: चाणक्य नीति के अनुसार इन लोगों के यहां का भोजन करने से लगता है पाप
3. धैर्य न छोड़े : जब कोई साथ न दें और मन में निराशा फैल जाए तो समस्या को समझें और उसके अनुसार कार्य करना प्रारंभ कर दें। इसी के साथ आपके पास जो भी है बचा है उसे बचाकर रखें और बहुत जरूरी हो तो ही उसका उपयोग करें। आचार्य चाणक्य के अनुसार जब किसी भी व्यक्ति का बुरा वक्त चलता है या फिर उसपर मुसीबतें आती हैं तो ऐसे में उसे कोई भी काम काफी धैर्यपूर्वक करनी चाहिए। धैर्य नहीं छोड़ना चाहिए। ALSO READ: Chanakya Niti: चाणक्य के अनुसार 3 कार्य करने के बाद क्यों जरूरी है स्नान करना?