वनस्पति विज्ञान के छात्रों ने जनक दीदी से सस्टेनेबल जीवन प्रबंधन सीखा

WD Feature Desk
Janak Palta Mcgilligan
होलकर साइंस कॉलेज इंदौर के वनस्पती विज्ञान के छात्रों का समूह अपनी प्रोफेसर डा. किसलय पंचोली के साथ जिम्मी मगिलिगन सेंटर फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट सस्टेनेबल जीवन प्रबंधन देखने आए। सनावदिया की एक छोटी पहाड़ी पर चढ़ कर पहुंचे जहां सेंटर की डायरेक्टर डॉ जनक पलटा मगिलिगन ने उनका स्वागत कर उन्हें साथ लेकर, गौ-केन्द्रित जैव-विविधता फार्म दिखाने ले गयी। 
 
चारों तरफ पेड़ों पर अनेको पक्षी, ,जैविक स्वदेशी बीज, पौधों की 80 से अधिक प्रजातियां और सागौन, मोहगनी, पारिजात ,कदम्ब, अरीठा, रतनज्योत, महुआ, कबीठ जैसे दुर्लभ पेड़ और हड्डी जोड़, ग्लोये ,पुनर्न्र्वा औषधीय पौधे, (फ्रैक्चर का इलाज करने के लिए) अनाज, सब्जियों, दालें , जड़ी-बूटियों, मसालों, देख आश्चर्यचकित व अभिभूत हुए विज्ञान छात्र। 
 
डॉ जनक पलटा मगिलिगन के साथ 13 प्रकार के फोल्डेबल, पोर्टेबल, बॉक्स, पेराबोलीक सोलर कुकर देखे और सबसे बड़ा अचम्भा था जब वह सोलर किचन देखा जिसमें उनके पति सोलर शिल्पी जिम्मी मगिलिगन द्वारा बनाया ऑटो-ट्रैकिंग सिस्टम से सूरज के साथ साथ घूमता है और सीधे सूर्य की ऊर्जा से खाना किचन के अंदर बनता है जो बिना किसी फोटोवोल्टिक पैनल या बैटरी का उपयोग से सीधा सूर्य की उर्जा से चलता है। 
 
विंड-सोलर हाइब्रिड पावर स्टेशन के साथ गांव में मुफ्त स्वच्छ ऊर्जा दे रहा है। विश्वास नहीं करपाए एलपीजी गैस सिलेंडर को लगभग ढाई साल में बदलती है क्योंकि लगभग 300 दिन सोलर कुकिंग और अन्य 65 दिन ब्रिकेट्स और रात या आपात स्थिति एलपीजी गैस उपयोग करती है। 
 
जनक दीदी ने यह भी बताया कि हम एक पेड़ के सभी फल और एक बगीचे के फूल हैं, प्राणियों में सदभावना व विश्व का करने से ही 2030 तक सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति होगी। इस उदेश्य की प्राप्ति की दिशा में वह सस्टेनेबल फार्मिंग, जल संरक्षण व अक्षय ऊर्जा के उपयोग से फ़ूड प्रोसेसिंग कर अपने सभी के लिए भोजन में आत्मनिर्भर है (नमक, शक्कर चाय पत्ती और खाने के तेल को छोड़कर) और दूसरो को कचरा मुक्त व सस्टेनेबल जीवन शैली का भी निशुल्क प्रशिक्षण देती है।

प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग  करना। पर्यावरण और पृथ्वी को सुरक्षित रखने के लिए, पर्यावरण के अनुकूल निर्णय लेना आवश्यक है। अपने दैनिक जीवन में छोटे-छोटे कदम उठा सकते हैं जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। 
 
तुशिता एम.एस.सी फाइनल की छात्रा ने कहा कि जनक पलटा  मैम के साथ यह एक बहुत ही जानकारीपूर्ण और ज्ञानवर्धक मुलाकात थी। इतना अच्छा काम किया था। मैं आश्चर्यचकित हूं कि आज की दुनिया में कोई फोन और अन्य डिजिटल चीजों के बिना कैसे रह सकता है लेकिन वह सबसे अच्छा उदाहरण है। अब मैं किसी को आपके जैसा सस्टेनेबल  जीवन जीने के लिए कह सकती हूं और मैं व्यक्तिगत रूप से भी अधिक से अधिक पौधे लगाने का प्रयास करूंगी और इसमें योगदान दूँगी हर संभव तरीके से जैव विविधता बढाऊँगी। 
 
मैंने इस घर में जो कुछ भी देखा है वह रसायन मुक्त है और भोजन और जैविक खेती तकनीकों के लिए केवल सौर और पवन ऊर्जा पर निर्भर है। लगा कि असली शांति तो निश्चित रूप से खुद को प्रकृति से जोड़कर ही महसूस हो सकती है। सीखा कि प्रकृति ही एकमात्र घर है। यह आपको बिना मांगे सब कुछ देगा.. अगर हम प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण तरीके से उपयोग करेंगे।
 
पीयूष बीएससी अंतिम वर्ष के छात्र ने कहा कि मैं आपके द्वारा प्रदान किए गए अद्भुत घर के दौरे के लिए अपना आभार व्यक्त करने के लिए एक क्षण लेना चाहता था। स्थायी जीवन शैली के बारे में अधिक जानने के लिए यह वास्तव में आनंददायक अनुभव था और यह भी जानना था कि हम जो भी विकल्प चुनते हैं, हमारे द्वारा उपभोग किए जाने वाले उत्पादों से लेकर हमारे यात्रा करने के तरीके तक। 
 
हमारे ग्रह और स्वयं के समग्र स्वास्थ्य में योगदान देता है। सोलर कुकर के उपयोग से लेकर प्राकृतिक रंग बनाने की प्रक्रिया तक हर उदाहरण ने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला।इसके अलावा, मैं हमारे समुदाय के भीतर स्थायी प्रथाओं को बढ़ावा देने के महत्व को समझता हूं। सबसे महत्वपूर्ण बात जो मैंने सीखी वह यह है कि कुछ भी असंभव नहीं है, अगर हम करना चाहें तो कोई भी बाधा हमें रोक नहीं सकती। एक बार फिर, बहुत बहुत धन्यवाद।
 
जया एमएससी वनस्पति विज्ञान की छात्रा बोली कि अगर हम एक बेहतर कल चाहते हैं तो हमें आज कैसे जीना चाहिए, भविष्य की पीढ़ियों की जरूरतों को पूरा करने की संभावनाओं से समझौता किए बिना वर्तमान जरूरतों को पूरा करके। भगवान का शुक्र है, मुझे भविष्य की एक महिला से मिलने का मौका मिला। धन्यवाद जनक मैम, मैं आपके जीवन से बहुत प्रेरित हुई और आपकी तरह जीवन जीना शुरू करुंगी।
 
डॉ किसलय पंचोली ने कहा कि वह जनक दीदी के जीवन और काम को देख कर इसलिय भी प्रेरित हुई है कि वो चंडीगढ़ , ब्रिटन, इंदौर छोड़ एक गांव में रह  अब 76 की उम्र में भी निष्काम व निस्वार्थ काम इतनी लगन, जोश व ख़ुशी से करती है कि वे हम सभी के लिए स्वंय ही उर्जा का स्रोत है। 
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