रियाद। यह किसी साइंस फिक्शन का दृश्य है। सउदी अरब एक ऐसा देश है जोकि किसी को भी अपनी नागरिकता देने से जबर्दस्त परहेज रखता है लेकिन उसने इस इस्लामी देश की नागरिकता मिलने के बाद कहा कि 'वह दुनिया भर के लोगों के बीच भरोसा पैदा करने की कोशिश करेगी।' लेकिन एक मशीन की इस बात पर दुनिया भरोसा भले ही न करे लेकिन सउदी गणराज्य के प्रमुखों ने ऐसा करके शायद यह जताने की कोशिश की है कि एक इस्लामी देश भी कितना मानवीय और प्रगतिशील हो सकता है।
सऊदी अरब की पब्लिक रिलेशन अफेयर्स कमेटी ने अपने ऑफिशियल ट्विटर हेंडल पर इसका एलान करते लिखा है। कमेटी ने लिखा, 'रोबोट सोफिया दुनिया की पहली रोबोट है जिसे सऊदी नागरिकता मिली है।’ नागरिकता मिलने पर रोबोट सोफिया ने शुक्रिया अदा करते हुए कहा, ‘मैं इस विशिष्ट गौरव पर काफी सम्मानित महसूस कर रही हूं। पहली बार एक रोबोट को नागरिकता से पहचाना जाना ऐतिहासिक है। मैं लोगों के बीच भरोसा बढ़ाने का काम करूंगी।’
इसे कहते हैं कि कट्टरपंथियों के देश में उदार इस्लाम की शुरुआत हो गई है और अगर शुरुआत मशीन से हो तो भी क्या गलत है। आखिर सउदी समाज में महिलाओं की हैसियत किसी रोबोट से ज्यादा नहीं है। विदित हो कि सोफिया ने रियाद में हो रहे फ्यूचर इन्वेस्टमेंट समिट में बतौर स्पीकर हिस्सा लिया है जिसमें देश में आधुनिकीकरण बढ़ाने के लिए निवेश बढ़ाने पर चर्चा हुई।
सोफिया की और भी विशेषताएं हैं :
यह रोबोट लोगों के चेहरे पर आने वाले मनोभावों को पहचानने और किसी के भी साथ सामान्य बातचीत कर सकते में समर्थ है। इसमें भी इंसान की तरह अलग-अलग भावनाएं हैं। जैसेकि हमारी आंखें तेज या धीमी रोशनी के हिसाब से बदलती हैं, वैसी ही सोफिया की भी बनाई गई हैं। वह टॉक शो में ‘रॉक, पेपर, सीजर’ गेम जीत चुकी हैं।
एंड्रयू- वह तो ठीक है, लेकिन हम एक बुरे फ्यूचर (भविष्य) की ओर जाना नहीं चाहते। सोफिया- लगता है आप एलन मस्क को ज्यादा पढ़ रहे है। चिंता मत कीजिए, आप अच्छा व्यवहार करोगे तो मैं भी ऐसा ही करूंगी। मुझे स्मार्ट इनपुट-आउटपुट जैसे ट्रीट कीजिए। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं।