नई दिल्ली। आम जनता से जुड़ी एक और खबर आ रही है। आम जनता को पेट्रोल-डीजल की कीमतों पर कोई राहत नहीं मिलने वाली है। दिल्ली में पेट्रोल कीमतें रविवार को 73.73 रुपए प्रति लीटर पर पहुंच गईं, जो इसका चार साल का उच्च स्तर है, वहीं डीजल 64.58 रुपए प्रति लीटर हो गया था, जो इसका सबसे ऊंचा स्तर था। सरकार पर एक बार फिर उत्पाद शुल्क कटौती के लिए दबाव बढ़ने लगा है। अगर पेट्रोल-डीजल की कीमतों के दामों में वृद्धि होती है तो इसका असर सीधे आमजन से जुड़ी वस्तुओं पर पड़ेगा। डीजल में दाम का असर माल परिवहन व्यवस्था पर पड़ेगा और चीजें महंगी होंगी।
खबरों की मानें तो कच्चे तेल की कीमतें 2018 के अंत तक 80 डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। अनुमान सही निकले तो पेट्रोल के दाम 10 रुपए लीटर और डीजल के 7 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो जनता को महंगाई का झटका लग सकता है। केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर 19.48 रुपए और डीजल पर 15.33 रुपए की एक्साइज ड्यूटी लगाई है। यदि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं तो सरकार को अपनी ड्यूटी में कमी करनी पड़ेगी। यदि सरकार ने यह कमी न की तो इसका सीधा बोझ आम जनता पर आएगा और पेट्रोल व डीजल की कीमतें बढ़ सकती हैं।
जीएसटी में लाने की कवायद : पेट्रोल-डीजल के आसमान छूते भावों को देखते हुए केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) के दायरे में लाने की अपील की है। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्य नहीं चाहते हैं कि पेट्रोलियम पदार्थों को नए अप्रत्यक्ष कर प्रणाली के तहत लाया जाए। केंद्रीय मंत्री का कहना है कि राज्यों को कल्याण के सौ काम करने पड़ते हैं और उनके पास संसाधनों की कमी होती है, इसलिए उसके लिए पेट्रो ईंधनों पर ज्यादा कर लगाकर राजस्व जुटाना पड़ रहा है। इसके लिए भी कोई भी उपाय ढूंढा जाएगा ताकि ये ईंधन जीएसटी के दायरे में आ जाएं।