भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार के लिए समीक्षक गुटबाजी और अंतर्कलह को एक बड़ा कारण मानते हैं। इसके चलते पार्टी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले प्रदेश बीजेपी में गुटबाजी का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। पार्टी के अंदर लगातार गुटबाजी के ऐसे मामले सामने आ रहे हैं जिसके बाद पार्टी के रणनीतिकारों के माथे पर चिंता की लकीरें आ गई है।
सत्तन ने पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, विधायक रमेश मेंदोला या ऊषा ठाकुर, महापौर मालिनी गौड़ में से किसी एक को टिकट देने की मांग की है। वहीं गुटबाजी का दूसरी तस्वीर बीजेपी के गढ़ माने जाने वाले इलाके मालवा से ही सामने आई है।
खंडवा में लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हुए कार्यक्रम में प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह के सामने ही सांसद नंदकुमार सिंह चौहान और पूर्व मंत्री अर्चना चिटनिस के समर्थक आपस में भिड़ गए। लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर हो रही बैठक में जैसे ही नंदकुमार सिंह चौहान भाषण देने के लिए खड़े हुए वैसे ही कुछ कार्यकर्ताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। ये देख सांसद भड़क गए और उन्होंने नारे लगाने वालों को गद्दार बता डाला। इससे कार्यकर्ता भड़क उठे और बात हाथापाई तक पहुंच गई। हंगामा बढ़ता देख खुद प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह को बीच बचाव करना पड़ा।
वहीं पार्टी में अंदरूनी अंतर्कलह का एक मामला बीजेपी अध्यक्ष राकेश सिंह के गृह नगर जबलपुर में सामने आया। जबलपुर में भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष अभिलाष पांडे और महापौर प्रभात साहू पर पूर्व विधायक हरजीत सिहं बब्बू ने चुनाव हराने का आरोप लगाया है। बब्बू ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र लिखकर पार्टी से निष्कासित करने की मांग कर डाली। बब्बू ने दोनों ही नेताओं को गद्दार बता डाला है। वहीं बब्बू ने प्रभात साहू पर जबलपुर का महापौर रहते हुए नगर निगम में भष्टाचार करने के संगीन आरोप लगाए है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए प्रभात साहू को लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया है। बब्बू ने प्रभात साहू को प्रभारी पद से हटाने की मांग की है और अगर पार्टी नहीं हटाती है तो जबलपुर में धरने पर बैठने की चेतावनी दी है।
इससे पहले विंध्य के सीधी में पार्टी के कार्यक्रम में मंच पर पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच मनमुटाव देखने को मिला। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के सामने सांसद रीति पाठक और विधायक केदारनाथ शुक्ला आपस में भिड़ गए। केदारनाथ शुक्ला ने सांसद पर चुनाव में पार्टी के विरोध में काम करने का आरोप लगाया है। वहीं सांसद रीति पाठक ने विधायक पर पलटवार करते हुए उन पर पार्टी को कमजोर करने के आरोप लगाए।