अपने फुटबॉल प्रेम के लिये मिनी ब्राजील के नाम से मशहूर मध्यप्रदेश के विचारपुर गांव के लोग फिर सुर्खियों में आ गए जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी पॉडकास्टर लेक्स फ्रीडमैन से बातचीत में इस गांव का जिक्र किया।पॉडकास्ट रविवार को प्रसारित किया गया था।
मोदी ने 2023 की शुरूआत में मध्यप्रदेश की यात्रा के दौरान शहडोल जिले के विचारपुर गांव के कुछ खिलाड़ियों से मुलाकात की थी। उन्होंने उस वर्ष जुलाई में मन की बात रेडियो कार्यक्रम में भी इसका जिक्र किया था।प्रधानमंत्री ने कोच और राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी रईस अहमद के बारे में बात की जिनकी ट्रेनिंग और तकनीक के सहयोग से गांव से खिलाड़ी निकल रहे हैं।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कैसे अहमद की कोचिंग से गांव से शीर्ष स्तर के फुटबॉलर निकल रहे हैं जबकि एक समय यह गांव नशे और शराब की लत के लिये बदनाम था।
प्रधानमंत्री द्वारा पॉडकास्ट में जिक्र किये जाने से आहलादित अहमद ने कहा कि गांव वालों में फुटबॉल को लेकर जुनून हमेशा से था लेकिन पहले संसाधन नहीं थे।
उन्होंने PTI (भाषा) से कहा , मैने 2002 में विचारपुर गांव में फुटबॉल कोचिंग शुरू की। मैने पहले लडकों की और फिर लड़कियों की टीम बनाई। कुछ समय बाद हालात यह थे कि हर घर से बच्चा फुटबॉल खेल रहा था। लड़कियां स्कूल और राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट खेल रही थीं और इस गांव को मिनी ब्राजील कहा जाने लगा।
उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि गांव की लक्ष्मी साहिस नौ राष्ट्रीय स्पर्धायें खेल चुकी है जबकि उसका भाई सीताराम साहिस और बहन धनवंतरी साहिस राष्ट्रीय स्तर के टूर्नामेंट खेल चुके हैं।
WATCH || Speaking to @lexfridman in a podcast, PM @narendramodi highlighted India's strong football culture, praising the women's teams performance. He acknowledged Lionel Messi as todays icon and recalled Maradonas legacy. Sharing Indian state Madhya Pradesh's Shahdol… pic.twitter.com/CP3D3ZuVgF
इनके अलावा अनिल सिंह गौर, ओम प्रकाश कोल, राकेश कोल, नरेश कुंडे, इंद्रजीत, हनुमान सिंह, भीम सिंह, यशोदा सिंह, रेणु सिंह जैसे कई खिलाड़ी यहां से निकले हैं।
कोच ने कहा , तत्कालीन डिविजिनल कमिश्नर राजीव शर्मा ने 26 सितंबर 2021 को इस फुटबॉल क्रांति की शुरूआत की। वर्ष 2021 से 2023 के बीच 85 फुटबॉल स्पर्धायें आयोजित की गई जिनमें पंचायत, जिला, डिविजन , प्रदेश और राष्ट्रीय स्तर की स्पर्धायें शामिल थीं।
उन्होंने बताया कि इस दौरान शहडोल डिविजन में एक हजार फुटबॉल क्लब बनाये गए जिनसे 24 राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी ई लाइसेंस कोर्स करने के बाद कोच बने और कइयों को रेलवे, पुलिस, सेना में नौकरियां मिली।