महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की प्रेशर पॉलिटिक्स असल वजह

Eknath Shinde pressure politics in Maharashtra: महाराष्ट्र के कार्यवाहक मुख्यमंत्री और शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे यह भली भांति जानते हैं कि वे एक बार फिर मुख्‍यमंत्री नहीं बन पाएंगे, लेकिन उन्होंने यह कहकर राज्य की सियासत में सनसनी जरूर फैला दी है कि उन्होंने मुख्‍यमंत्री के रूप में एक आम आदमी की तरह काम किया है और इसलिए जनता चाहती है कि वे एक बार फिर मुख्‍यमंत्री बनें।
 
शिंदे ने यह भी दोहराया कि उनकी पार्टी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लिए गए फैसले का समर्थन करेगी। उन्होंने नाराजगी की बात को भी खारिज किया है। साथ ही शिंदे ने कहा कि वे पूरी तरह भाजपा के साथ हैं। एक तरफ शिंदे मोदी और शाह के फैसले को मानने के लिए भी राजी हैं, दूसरी तरफ खुद का नाम मुख्‍यमंत्री पद के लिए भी आगे बढ़ा रहे हैं। यह बात किसी के भी गले नहीं उतर रही है। ALSO READ: महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री चेहरे को लेकर महा सस्पेंस, एकनाथ शिंदे के दांव से बैकफुट पर भाजपा
 
क्या है शिंदे का गेम प्लान : दरअसल, राजनीति के जानकार लोग शिंदे के इस दांव को उनके 'गेम प्लान' का हिस्सा मान रहे हैं। मुख्‍यमंत्री शिंदे अपने डिप्टी रहे देवेन्द्र फडणवीस के नेतृत्व में कभी भी काम करना नहीं चाहेंगे। हालांकि शिवसेना के कुछ नेता चाहते हैं कि शिंदे को डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लेना चाहिए। लेकिन, यदि शिंदे डिप्टी सीएम का पद स्वीकार कर लेते हैं तो राजनीतिक रूप से उनका कद कमजोर हो जाएगा। 
 
शिंदे के नए दांव के पीछे माना जा रहा है कि वे अपने सांसद बेटे श्रीकांत शिंदे को डिप्टी सीएम बनाने के साथ ही गृह मंत्रालय जैसा अहम पद चाहते हैं। यदि उनकी यह मांग मान ली जाती है तो वे एक तीर से दो शिकार करने में सक्षम होंगे। बेटे को डिप्टी सीएम बनाकर वे सरकार और पार्टी दोनों जगह अपनी पकड़ मजबूत करने में सफल होंगे। ALSO READ: एकनाथ शिंदे ने बताया, कब मिलेगा महाराष्‍ट्र को नया मुख्‍यमंत्री?
 
...तो सत्ता और पार्टी दोनों जगह मजबूत होंगे शिंदे : यदि शिवसेना का दूसरा कोई नेता डिप्टी सीएम बनता है तो सरकार में उनकी पकड़ कमजोर हो जाएगी और पार्टी में एक नया नेतृत्व सामने आ जाएगा, जो कि न सिर्फ पार्टी बल्कि एकनाथ शिंदे के हित में भी नहीं होगा। 
 
यदि श्रीकांत शिंदे डिप्टी सीएम बनते हैं तो 'पॉवर' घर में ही रहेगा और पार्टी पर उनकी पकड़ भी मजबूत रहेगी। हो सकता है कि श्रीकांत को डिप्टी सीएम का पद मिलने के बाद वे अपनी सीट बेटे के लिए छोड़ दें और खुद लोकसभा चुनाव लड़कर दिल्ली की ओर रुख कर सकते हैं। शिंदे की 'प्रेशर पॉलिटिक्स' की असल वजह भी यही बताई जा रही है। 

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