नई दिल्ली। अर्थव्यवस्था को मजबूती देने और व्यापार-कारोबार में भरोसा कायम करने के लिए चेक बाउंस के दोषियों को कड़ी सजा तथा भारी जुर्माने के प्रावधान वाले वाले 'द निगोसिएशन इन्सट्रूमेंटस् (संशोधन) विधेयक 2018' को गुरुवार को राज्यसभा ने पारित कर दिया।
लोकसभा इस विधेयक को पहले ही पारित कर चुकी है। इस तरह विधेयक पर गुरुवार को को संसद की मुहर लग गई। विधेयक पर लगभग डेढ़ घंटे हुई चर्चा के बाद वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने कहा कि इससे कारोबार के लेन-देन में भरोसा बढ़ेगा।
चेक बाउंस होने के बाद मामला अदालत में जाने पर इसको जारी करने वाले व्यक्ति को 20 प्रतिशत राशि का भुगतान चेक प्राप्तकर्ता को अदा करना होगा। इस राशि का भुगतान 60 दिन के भीतर करना होगा जिसे 90 दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
चेक बाउंस होने का दोषी सिद्ध होने पर दो वर्ष की जेल का भी प्रावधान किया गया है। अगर अदालत के फैसले के खिलाफ अपील की जाती है तो चेक जारी करने वाले व्यक्ति को और 20 प्रतिशत राशि जमा करानी होगी। इसके साथ ही चेक जारी करने वाले को 20 प्रतिशत दंड पर ब्याज भी देना पड़ेगा। मामले में न्यायालय चाहे तो दंड की राशि 100 प्रतिशत भी कर सकता है।
वित्त राज्यमंत्री ने कहा कि विधेयक के जरिए अधिनियम में धारा 143 (क) का समावेशन किया गया है, जिसमें अपील करने वाले पक्ष को ब्याज देने का प्रावधान है। धारा 138 के तहत अदालत में मुकदमा चलने पर पीड़ित पक्ष को 60 दिन के भीतर 20 प्रतिशत अंतरिम राशि देने की व्यवस्था है।
बड़ी राशि होने और दो किस्तों में भुगतान करने की दशा में यह अवधि 30 दिन बढ़ाई जा सकती है। इसी प्रकार में धारा 148 में संशोधन करके अदालत को चेक जारी करने वाले पर जुर्माना लगाने का अधिकार दिया गया है।
उन्होंने कहा कि इस विधेयक से चेक के अस्वीकृत होने की समस्या का समाधान हो सकेगा। विधेयक में ऐसे प्रावधान किए गए हैं जिससे चेक बाउंस होने के कारण जितने तरह के विवाद उपजते हैं, उन सबका समाधान इसी कानून में हो जाए। इससे चेक की विश्वसनीयता बढ़ेगी और सामान्य कारोबारी सुगमता में भी इजाफा होगा। वित्त राज्यमंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। (वार्ता)