Chief Justice's statement regarding the Constitution : प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने डॉ. बीआर आम्बेडकर का हवाला देते हुए कहा कि भले ही संविधान खराब हो लेकिन इसे लागू करने वाले लोग अच्छ होंगे तो संविधान अच्छा साबित होगा। प्रधान न्यायाधीश ने भारत में गहराई तक जड़ें जमा चुकी वर्णक्रम की व्यवस्था को खत्म करने में कारगर बताए जाने वाले आम्बेडकर के संविधानवाद के विचार की प्रशंसा की।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने ये टिप्पणियां 'डॉ. बीआर आम्बेडकर की अधूरी विरासत' विषय पर रविवार को अमेरिका के मैसाचुसेट्स में वाल्थम स्थित ब्रैंडिस यूनिवर्सिटी में आयोजित छठे अंतररराष्ट्रीय सम्मेलन को मुख्य वक्ता के तौर पर संबोधित करते हुए कीं। प्रधान न्यायाधीश ने आम्बेडकर के संविधानवाद के विचार को रेखांकित किया। आम्बेडकर भारतीय संविधान का निर्माण करने वाली समिति के प्रमुख थे।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि इस विचार ने गहरी जड़ें जमा चुकीं वर्णक्रम व्यवस्था को खत्म करके भारतीय समाज को बदलने और हाशिए पर पड़े समूहों के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक सशक्तीकरण को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा, आम्बेडकर की विरासत आधुनिक भारत के संवैधानिक मूल्यों को आकार दे रही है, समाज सुधार और सभी के लिए न्याय सुनिश्चित करने के लिए एक प्रकाश स्तंभ के रूप में काम कर रही है।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आम्बेडकर का हवाला दिया जिन्होंने कहा था कि भले ही संविधान अच्छा हो लेकिन इसे लागू करने वाले लोग खराब हैं तो ये निश्चित रूप से खराब साबित होगा। प्रधान न्यायाधीश ने आम्बेडकर के हवाले से कहा कि भले ही संविधान खराब हो, लेकिन इसे लागू करने वाले लोग अच्छे हैं तो संविधान अच्छा साबित होगा।