उन्होंने कहा कि हालांकि कि ये कोविड के वक्त में हुआ, फिर भी हमने बेहद सख्ती से और पूरी शिद्दत से इसका जवाब दिया और आज की तारीख में हम हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए जिस भी प्रकार से जरूरी है हम डटे हुए हैं।
जयशंकर ने यह भी बताया कि कैसे प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक जागरुकता पैदा करने की कोशिश की या क्वाड की रूपरेखा के तहत सहयोग के लिए आगे बढ़ा, लेकिन उस वक्त एक विमर्श था जिससे कोई असहज हो सकता था। यह परोक्ष रूप से चीन के संदर्भ में था।
उन्होंने कहा कि अगर कोई और असहज महसूस करता है तो यह उनकी समस्या है।
विदेश मंत्री ने कहा कि आखिरकार हमें जो करना है हम वो करेंगे। फिर चाहने वह कितना भी मुश्किल या कठोर क्यों न हो।” उन्होंने कहा कि इस प्रकार का रुख हमें भारत के तौर पर वर्णित करेगा।