गैंगस्टर मुख्तार अंसारी जिसने अपराध से कलंकित कर दी बाप-दादाओं की कीर्ति
शनिवार, 29 अप्रैल 2023 (14:23 IST)
पिता साफ सुथरी छवि वाले नेता। दादा डॉक्टर और स्वतंत्रता सेनानी। नाना पाकिस्तान के साथ भारत की जंग में शहीद होने वाले ब्रिगेडियर। यहां तक कि रिश्ते में चाचा लगने वाले हामिद अंसारी भारत के पूर्व उप राष्ट्रपति। लेकिन इसी परिवार में पैदा हुआ गैंगस्टर मुख्तार अंसारी। जिसने अपने बाप-दादाओं की इन सारी शोहरत को मिट्टी में मिलाने की कहानी लिखी। दरअसल, गैंगस्टर एक्ट में उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर मुख्तार अंसारी को एमपी-एमएलए कोर्ट ने 10 साल की सजा सुनाई है। इसके साथ ही 5 लाख का जुर्माना लगाया है। मुख्तार के भाई अफजाल अंसारी पर भी कोर्ट का फैसला आना है।
आइए जानते हैं कौन है मुख्तार अंसारी और कैसे अपराध की दुनिया से उसने की राजनीति में एंट्री।
उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में अपराध की दुनिया का बड़ा नाम मुख्तार अंसारी का जन्म 20 जून साल 1963 को यूपी के गाजीपुर जिले में हुआ था। उसके पिता सुब्हानउल्लाह अंसारी वामपंथी नेता थे। मुख्तार अंसारी के पिता 1971 में हुए नगर पालिका चुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की थी। उन्हें साफ छवि वाले नेता माना जाता था, जबकि उसके दादा डॉ मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता सेनानी थे वे अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी रहे।
इतना ही नहीं, मुख्तार अंसारी के नाना उस्मान मुख्तार अंसारी नौशेरा के शेेर नाम से मशहूर थे और बतौर ब्रिगेडियर 3 जुलाई साल 1948 को पाकिस्तान के साथ हुई जंग में शहीद हो गए थे। उन्हें महावीर चक्र से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा पूर्व उप-राष्ट्रपति हामिद अंसारी भी मुख्तार अंसारी के रिश्ते में चाचा लगते हैं।
मुख्तार अंसारी ने अपने अपराधिक छवि के बल पर सियासत में एक ताकतवर मुकाम हासिल किया। 1996 में पहली बार बसपा के टिकट पर मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ा और जीतकर विधानसभा पहुंचा। इसके बाद राजनीतिक गलियारे में मुख्तार अंसारी की तूती बोलने लगी। मऊ विधानसभा क्षेत्र में मुख्तार की खूब चलती थी। यही वजह थी कि 3 विधानसभा चुनाव जेल में बंद रह कर जीत लिए। मुख्तार अंसारी ने साल 2002, 2007, 2012 और 2017 में जीत हासिल की। इस दौरान मुख्तार सपा, बसपा, अपना दल जैसे अलग-अलग दलों का चक्कर लगाने के बाद अपनी पार्टी का गठन किया।
कृष्णानंद हत्याकांड : 2005 में मुख्तार अंसारी उस वक्त चर्चा में आया जब बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में उसका नाम आया। लाइट मशीनगन केस में नाम आने के बाद से वह चर्चा में था। 2005 में एक विधायक की हत्या के मामले में उसका नाम आने बाद उसने राजनीतिक गलियारे में भी हलचल मचा दी। हालांकि जब कृष्णानंद राय की हत्या हुई तो उस समय मुख्तार जेल में बंद था। लेकिन इस बात की चर्चा थी की मुख्तार अंसारी ने जेल से ही विधायक कृष्णानंद राय की हत्या करा दी।
भाई की हार का बदला : यूपी की मोहम्मदाबाद विधानसभा सीट पर मुख्तार अंसारी और उनके भाई अफजाल अंसारी का प्रभाव था। 1985 से लगातार ये सीट अंसारी परिवार के कब्जे में थी, लेकिन 2002 में भाजपा उम्मीदवार कृष्णानंद राय ने अफजाल अंसारी को हरा दिया। सीट भाजपा के कब्जे में आ गई। यह हार मुख्तार के सियासी कद पर दाग की तरह थी, वो बदले की आग में झुलस उठा और उसने विधायक कृष्णानंद की हत्या करा दी। ठीक उसी तरह जैसे माफिया अतीक अहमद के भाई अशरफ के हारने पर अतीक ने राजू पाल की हत्या करवा दी थी।
टिकट बंटवारे में भी हस्तक्षेप : बसपा से चुनाव जीतने के बाद मुख्तार का सियासी कद इतना बढ़ गया कि वह पार्टी के टिकट बंटवारे में भी हस्तक्षेप करने लगा। बसपा में टिकट बंटवारे को लेकर जब मायावती से उसकी कड़वाहट सामने आने लगी तो मुख्तार ने कौमी एकता दल का गठन किया और चुनाव में जीत हासिल की। हालांकि बाद में पार्टी का बसपा में विलय हो गया।
पहली हत्या का केस : मुख्तार अंसारी के खिलाफ पहला मामला साल 1988 में हत्या का केस गाजीपुर कोतवाली में दर्ज किया गया था. हालांकि पुलिस उनके खिलाफ पुख्ता सबूत नहीं जुटा पाई थी। 90 के दशक में मुख्तार अंसारी ने प्रॉपर्टी और ठेके का काम शुरू किया इसके अलावा जमीनों पर कब्जा करने के लिए मुख्तार ने अपना गैंग बनाया था।
16 साल से जेल में बंद, अब सजा : उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक देशभर में मुख्तार अंसारी पर कुल 52 से ज्यादा केस दर्ज हैं। वो करीब 16 साल से जेल में बंद हैं। यूपी सरकार ने मुख्तार अंसारी पर कार्रवाई करते हुए उसकी 192 करोड़ की संपत्ति को ध्वस्त और जब्त की है। पुलिस ने अब तक उसके गैंग के 95 लोगों को गिरफ्तार किया है जिसमें 75 लोगों पर गुंडा एक्ट के तहत कार्रवाई हो रही है।
Written & Edited by navin rangiyal