संविधान निर्माताओं की भावनाओं की धज्जियां : संविधान निर्माताओं का आदर करना चाहिए था, उनसे प्रेरणा लेनी चाहिए थी। लेकिन, कांग्रेस ने आजादी के तुरंत बाद ही संविधान निर्माताओं की भावनाओं की धज्जियां उड़ा दी थी। आजादी के बाद जब देश में चुनी हुई सरकार नहीं थी और चुनाव तक के लिए stop-gap arrangement था, तो उस stop-gap arrangement में जो महाशय बैठे थे, उन्होंने आते ही संविधान में संशोधन कर दिया। उन्होंने Freedom of Speech को कुचल दिया, अखबारों पर, प्रेस पर लगाम लगा दी। ये संविधान की भावना का पूरी तरह अनादर था।