शुभांगी दो वर्ष पहले भारतीय नौसैनिक अकादमी से ग्रेजुएट हुई महिला अधिकारियों के पहले बैच का हिस्सा थीं। कन्नूर में पासिंग आउट परेड के बाद यह तय हो गया था कि शुभांगी नौसेना की पहली महिला पायलट होंगी और उन्हें हैदराबाद के निकट डिंडिगुल वायु सेना अकादमी में पायलट के प्रशिक्षण के लिए भेजा गया, जहां सेना, नौसेना और वायु सेना के पायलटों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
पिता को नौसेना की गरिमामयी पोशाक में देखते हुए बड़ी हुईं शुभांगी ने वर्ष 2010 में डीएवी स्कूल से दसवीं की पढ़ाई की और विज्ञान विषय के साथ 12वीं करने के बाद इंजीनियरिंग में दाखिला लिया। बीटैक करने के दौरान ही उन्होंने सशस्त्र सेना में जाने का मन बना लिया था और एमटैक में प्रवेश के बाद एसएसबी की परीक्षा पास करके वह अपने सपने को साकार करने के रास्ते पर आगे बढ़ गईं। उन्हें सब लेफ्टिनेंट के रूप में चुना गया और ट्रेनिंग के बाद पायलट के तौर पर उनका चयन हुआ।
हैदराबाद में पायलट की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शुभांगी को हाल ही में कोच्चि में नौसेना की आपरेशंस ड्यूटी में शामिल किया गया है और वह फिक्स्ड विंग डॉर्नियर 228 टोही विमान उड़ाएंगी। कम दूरी के समुद्री मिशन पर भेजे जाने वाले इस विमान को हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड ने तैयार किया है और यह सर्विलांस, राडार, नेटवर्किंग और इलेक्ट्रानिक सेंसर की आधुनिकतम प्रणालियों से लैस है।
तायक्वांडो में राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक विजेता और होनहार डाइवर शुभांगी ने हमेशा से रक्षा सेवाओं का हिस्सा बनने का ख्वाब देखा और नौसेना की पहली महिला पायलट बनने पर वह इसे एक रोमांचक अवसर के साथ ही एक बड़ी जिम्मेदारी भी मानती हैं। उन्हें उम्मीद है कि वह सब की उम्मीदों पर खरा उतरेंगी और कोशिश करेंगी कि देश की और भी बहुत सी लड़कियां उन्हें देखकर महिला पायलट के तौर पर नौसेना का हिस्सा बनने का प्रयास करें।
शुभांगी के लिए वह पल यादगार रहे होंगे, जब वह नौसेना की पहली महिला पायलट बनने के बाद अपने पिता कमांडर ज्ञान स्वरूप के बगल में खड़ी हुईं। दोनों ने नौसेना की चमकदार सफेद वर्दी पहनी थी और कंधे पर काले और सुनहरी बैज जगमगा रहे थे। उनके पिता की वर्दी पर नौसेना में उनकी उपलब्धियों के तमगे हैं और शुभांगी के चेहरे का आत्मविश्वास इस बात का भरोसा दिला रहा है कि आने वाले समय में उनकी वर्दी पर भी इसी तरह के बहुत से तमगे नजर आएंगे।