अघोषित कर्फ्यू और संगीनों के साए में जम्मू-कश्मीर

सुरेश डुग्गर
जम्मू। संगीनों के साए में जम्मू-कश्मीर की हालत इसी से बयान की जा सकती है कि पिछले 24 घंटों से सब कुछ बंद है। फोन, इंटरनेट से लेकर स्कूल कॉलेज, दुकानें, यातायात। इस बंदी का आदेश सरकारी है जो रात 12 बजे ही लागू हो गई थी।

यूं तो सरकारी तौर पर कर्फ्यू घोषित नहीं है पर सख्ती कर्फ्यू से भी ज्यादा हैं। ऐसा हाल सिर्फ कश्मीर वादी के जिलों का ही नहीं बल्कि जम्मू संभाग का भी है, जहां गलियों के मुहानों पर कांटेदार तारें लगा लोगों को घरों में ही बंद रहने को मजबूर किया गया।

फिलहाल कश्मीर से किसी विरोध प्रदर्शन का समाचार इसलिए नहीं है क्योंकि फोन, इंटरनेट, मोबाइल और ब्राडबैंड सब बंद है। साथ ही लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। पत्रकारों को भी बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा है। इतना जरूर था कि कश्मीर में सुरक्षाकर्मियों के पहुंचने का सिलसिला रुका नहीं है, जिसका परिणाम यह था कि दहशत और डर और गहरा रहा था।

केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले की आशंका और एलओसी पर तनातनी बढ़ने के बीच सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए थे। कश्मीर में धारा 144 लागू है। इसके अलावा किश्तवाड़, राजौरी और बनिहाल में कर्फ्यू लगा दिया गया है।

जम्मू में भी किसी भी तरह के हालात से निपटने के लिए सोमवार की सुबह 6 बजे से धारा 144 लगा दी गई थी। सभी शिक्षण संस्थान बंद कर दिए गए थे। जनजीवन ठहर गया है। पुराने शहर में कांटेदार तार लगाकर गलियों को बंद कर दिया गया है और लोगों को घरों से बाहर नहीं निकलने दिया जा रहा।

सरकारी तौर पर कर्फ्यू नहीं लगाया गया है परंतु हालात कर्फ्यू जैसे ही बने हुए हैं। शहर में ट्रैफिक पूरी तरह से बंद है। कश्मीर समेत जम्मू संभाग के कई जिलों में फोन भी बंद कर दिया गया है और सारे राज्य में इंटरनेट सेवा ठप है।

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