प्रयागराज। उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश विनीत शरण ने शनिवार को यहां उच्च न्यायालय के संग्रहालय एवं लेखागार के उद्घाटन के मौके पर कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत शुरू करने वालों के लिए एक कहावत प्रसिद्ध है कि चल गई वकालत तो मोतीलाल, नहीं तो जवाहरलाल।
न्यायमूर्ति शरण ने विनोदपूर्ण अंदाज में कहा कि यदि उनका (पंडित नेहरू का) आवेदन स्वीकृत कर लिया गया होता तो इस देश का भाग्य बदल गया होता। उन्होंने कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय का संग्रहालय देश में किसी भी उच्च न्यायालय में पहला संग्रहालय रहा है, यह एक छोटे से कमरे से शुरू हुआ और मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर और अन्य न्यायाधीशों के प्रयास से यह एक विशाल भवन में स्थानांतरित हुआ।
न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा, न्यायमूर्ति एसके सेन के कार्यकाल में हाईकोर्ट संग्रहालय, मुख्य भवन में कोर्ट के गलियारे को घेरकर शुरू किया गया था। हमने कई अरबी और फारसी पांडुलिपियों का अनुवाद कराया।
यूट्यूब के माध्यम से इस उद्घाटन कार्यक्रम का सीधा प्रसारण किया गया जिसमें उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश कृष्ण मुरारी, न्यायाधीश विनीत शरण और न्यायाधीश अशोक भूषण के साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर, गुजरात उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ, जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश पंकज मित्तल ने इस संग्रहालय के विकास को लेकर अपनी यादें साझा कीं। इस मौके पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चार स्वचालित सीढ़ियों का भी उद्घाटन किया गया।(भाषा)