Mother Teresa Birthday : आज संत मदर टेरेसा की जयंती है। उनका जन्म को 26 अगस्त 1910 को हुआ था। उन्हें मानवता की मिसाल और शांति की दूत कहा जाता हैं। गरीबों की सेवा करने के लिए नन बनीं तथा पूरे विश्व में मदर टेरेसा के नाम से प्रसिद्ध हुई। उन्होंने मानवता की सेवा के लिए जीवन की सभी सुख-सुविधाओं को त्याग करके अपना जीवन दान दिया था।
आइए जानते हैं मदर टेरेसा के बारे में 25 बड़ी बातें-
1. नीले बॉर्डर वाली साड़ी पहनने वाली मदर टेरेसा ने जरूरतमंद को समय पर उपचार मिल सकें, इसके लिए बेसिक मेडिकल ट्रेनिंग भी लीं तथा मानव जाति की सेवा के कार्य में लग गई। मदर टेरेसा संपूर्ण विश्व में शांति और मानवता का संदेश देने वाली एक महान हस्ती थीं।
2. मदर टेरेसा यानि एग्नेस गोंझा बोयाजिजू यूगोस्लाविया के स्कॉप्जे में 26 अगस्त 1910 को जन्मीं और बाद में 'मदर टेरेसा' के नाम से पहचानी गईं।
3. मात्र 18 वर्ष की उम्र में लोरेटो सिस्टर्स में दीक्षा लेकर वे सिस्टर टेरेसा बनीं थी। फिर वे भारत आकर ईसाई ननों की तरह अध्यापन से जुड़ गईं।
4. वे रोमन कैथोलिक नन थीं, जिनके पास भारतीय नागरिकता थी।
5. कोलकाता के सेंट मैरीज हाईस्कूल में पढ़ाने के दौरान एक दिन कॉन्वेंट की दीवारों के बाहर फैली दरिद्रता देख वे विचलित हो गईं। वह पीड़ा उनसे बर्दाश्त नहीं हुई और कच्ची बस्तियों में जाकर सेवा कार्य करने लगीं।
6. सन् 1948 में उन्होंने बच्चों को पढ़ाने के लिए एक स्कूल खोला और तत्पश्चात 'मिशनरीज ऑफ चैरिटी' की स्थापना की।
7. यह कहावत कि 'सच्ची लगन और मेहनत से किया गया काम कभी निष्फल नहीं होता', मदर टेरेसा के साथ सच साबित हुई। काम इतना बढ़ता गया कि सन् 1996 तक उनकी संस्था ने करीब 125 देशों में 755 निराश्रित गृह खोले जिससे करीबन 5 लाख लोगों की भूख मिटने लगी।
8. हमेशा नीली किनारी की सफेद धोती पहनने वाली मदर टेरेसा का कहना था कि दुखी मानवता की सेवा ही जीवन का व्रत होना चाहिए।
9. 18 वर्ष की उम्र में अपना घर त्याग देने वाली मदर टेरेसा फादर फ्रेंजो जेमरिक से काफी प्रभावित हुई थी।
10. मदर टेरेसा लोगों की सेवा के लिए उन्होंने अपनी सभी सुख-सुविधाओं को त्याग दिया तथा असहाय, गरीबों की सेवा करने के लिए नन बनने की दिशा में कदम उठाया।
11. मदर टेरेसा के अनुसार 'हर कोई किसी न किसी रूप में भगवान है या फिर प्रेम का सबसे महान रूप है सेवा।' यह उनके द्वारा कहे गए सिर्फ अनमोल वचन नहीं हैं बल्कि यह उस महान आत्मा के विचार हैं संपूर्ण विश्व में शांति और मानवता का संदेश दिया।
12. मदर टेरेसा कुष्ठ और तपेदिक जैसे रोगियों की सेवा कर स्वयं लाखों लोगों के इलाज में जुट गईं थीं।
13. मदर टेरेसा ने 24 मई 1937 को अंतिम प्रतिज्ञा ली। नन की प्रतिज्ञा लेने के बाद उन्हें मदर की उपाधि दी गई। इसके बाद से वे पूरे विश्व में मदर टेरेसा के नाम से प्रसिद्ध हुई।
14. उन्होंने भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान सन् 1947 में कई लोगों की मदद की थी। बंटवारे के दौरान अपने परिवार से बिछड़ गए बच्चों को पनाह दी तथा सभी बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर सभी के लिए प्रबंध भी किया।
15. मदर टेरेसा के लिए धर्म, जाति और वर्ग का कोई मतलब नहीं था, वे सिर्फ मानतवा के सेवा में अधिक ध्यान देती थीं।
16. मदर टेरेसा ने निर्मल हृदय और निर्मला शिशु भवन के नाम से आश्रम खोलें, जिनमें वे असाध्य बीमारी से पीड़ित रोगियों व गरीबों की स्वयं सेवा करती थीं।
17. सन् 1970 में मदर टेरेसा शांति के लिए नोबेल पुरस्कार से नवाजी गईं।
18. नोबेल पुरस्कार के साथ ही मदर टेरेसा को 1,90,000 डॉलर का चेक भी दिया गया। जिसकी भारतीय मु्द्रा में 1 करोड़ 41 लाख रुपए की राशि होती है। उन्होंने इतनी बड़ी रकम को भी गरीबों की सेवा में लगा दिया।
19. मिशनरीज ऑफ चैरिटी में यदि किसी की मृत्यु होती है, तो उसका अंतिम संस्कार उसी के धर्मानुसार ही किया जाता है।
20. संत मदर टेरेसा का जीवन एक मिसाल हैं। देश के युद्ध के दौरान हुए घायलों के लिए अपनी जिंदगी भी दे दी।
21. मदर टेरेसा के बारे में कहा जाता है कि उनके द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी की शाखाएं असहाय और अनाथों का घर है। आज यह चैरिटी 120 से अधिक देशों में मानवीय कार्य के लिए जाना जाती है।
22. मदर टेरेसा द्वारा स्थापित मिशनरीज ऑफ चैरिटी (मिशनरी) संपूर्ण जगत में असहाय, गरीब, बीमार तथा जरूरती सुविधाओं से वंचित लोगों की सेवा और सहायता में अपना योगदान देते हैं।
23. मदर टेरेसा आज हमारे बीच में नहीं हैं लेकिन उनके विचारों को मिशनरीज ऑफ चैरिटी की सिस्टर्स आज भी जीवित रखे हुए हैं। उन्हीं में से कुछ सिस्टर्स आज भी सेवा कार्य में जुटी हुई हैं। मिशनरीज ऑफ चैरिटी में रह रहीं सिस्टर्स तन-मन-धन से अनाथों की सेवा में लगी हुई हैं। जहां सभी धर्मों के लोग आते हैं और एकसाथ रहते हैं। उनका कार्य बस उनकी सेवा करना है।
24. मदर टेरेसा एक ऐसा नाम, जिनका नाम लेते ही मन में दया के भाव जाग जाते हैं। उन्होंने दुनिया के बच्चों की सेवा अपने बच्चों की तरह की। जिंदगीभर जरूरतमंद लोगों की सेवा कर अपना संपूर्ण जीवन न्योछावर कर दिया।
25. 5 सितंबर 1997 को ऐसी मानवता की महान प्रतिमूर्ति मदर टेरेसा का निधन हो गया था। मदर टेरेसा को नमन।
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