बसपा इस उम्मीद के साथ हमीरपुर के उपचुनाव में मैदान में उतरी थी कि आगामी विधानसभा चुनाव में उसका ही मुकाबला भाजपा से होगा। उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा ने मिलकर चुनाव लड़ा था, जिसका बसपा को फायदा हुआ था और सपा को नुकसान उठाना पड़ा था। बाद में मायावती यह कहते हुए गठबंधन से अलग हो गई थीं कि बसपा के वोट सपा को मिले, लेकिन सपा के वोट बसपा को नहीं मिल पाए।
बसपा ने अपनी ताकत का अंदाजा लगाने के लिए दलित अल्पसंख्यक गठजोड़ के तहत नौशाद अली को उपचुनाव में टिकट दिया था, लेकिन वो तीसरे स्थान पर रहे। उन्हें 30 हजार से भी कम वोट मिले। हालांकि पार्टी प्रमुख मायावती ने इसका ठीकरा ईवीएम पर फोड़ा और कहा कि जानबूझकर बसपा को तीसरे स्थान पर धकेला गया।