‘लॉकडाउन’ में बर्बाद हुए उद्योगों के लिए ‘बूस्‍टर डोज’ बना ये कपल, 101 दिन में नाप दिए देश के 28 राज्य, ये था मकसद

नवीन रांगियाल
देश के 28 राज्‍य, 5 केंद्रशासि‍त प्रदेश। 17 हजार 600 किमी से भी ज्‍यादा का सफर और 101 दिन। मुंबई के रहने वाले कौस्‍तव घोष और उनकी पत्‍नी लक्ष्‍मी सॉरटे के जुनून की ये स्‍क्र‍िप्‍ट भर है।

दोनों मुंबई में रहते हैं, उम्र महज 31 साल है, लेकिन उन्‍होंने एक खास मकसद के चलते पूरे देश के नक्‍शे को अकेले ही नाप दिया है, वो भी सिर्फ 101 दिनों में। लोगों की मदद करने के वाले इस कपल के जज्‍बे की आज कई जगह चर्चा हो रही है।

दरअसल, कोरोना वायरस के बाद लगे लॉकडाउन की वजह से देश के कई राज्‍यों में छोटे व्‍यापारी और उद्योग बर्बाद हो गए हैं, कई ऐसे स्‍टार्ट-अप हैं, जो इस संक्रमण की वजह से शुरू होने से पहले ही खत्‍म हो गए। इस त्रासदी ने ऐसी मार मारी कि फि‍र ये छोटे उद्योग खड़े ही नहीं हो सके।

ऐसे में कौस्‍तव और लक्ष्‍मी उनके लिए प्रेरणा बनकर सामने आए। प्रेरित करने का उनका कॉन्‍सेप्‍ट बर्बाद हो चुके छोटे उद्योगपतियों के लिए बूस्‍टर डोज साबित हो रहा है।

कौस्‍तव और लक्ष्‍मी ने नेकी करने की अपनी ये कहानी खासतौर से वेबदुनिया से साझा की।

सफर बना मदद का बहाना
कौस्‍तव और लक्ष्‍मी ने बताया कि उन्‍हें ट्रैवल करने का जुनून है, लेकिन वे चाहते थे कि ट्रैवल के साथ कोई मकसद भी होना चाहिए। उन्‍होंने 101 दिनों में भारत के 28 राज्‍य और 5 केंद्रशासि‍त प्रदेशों की यात्रा करने की ठानी। फैसला किया गया कि इस सफर के साथ देशभर में संघर्ष कर रहे छोटे उद्योग धंधे और स्‍टार्ट-अप को भी बूस्‍ट करेंगे।

... शुरू हुआ द ग्रेट इंडि‍यन ट्रैवल  
उन्‍होंने एक ऑटोमोबाइल कंपनी से स्‍पॉन्‍सर की बात की, जिसने उन्‍हें पूरे देश में सफर करने के लिए एक कार मुहैया करवा दी। 1 दिसंबर 2021 को दोनों ने मुंबई से अपनी यात्रा की शुरूआत की।

इस यात्रा को ‘द ग्रेट इंडि‍यन ट्रैवल’ का नाम दिया गया। जिसका मकसद था, देशभर के शहरों में लोगों से मिलना, उन्‍हें एकजुट करना, बिजनेस टि‍प्‍स देना, उनके बिजनेस को सोशल मीडि‍या पर प्रमोट करना और उनके स्‍टार्ट-अप और बिजनेस को फि‍र से खड़ा करना।

ईएमई कॉन्‍सेप्‍ट पर किया काम
पेशे से इलेक्‍ट्र‍िक इंजीनियर कौस्‍तव और सीएस रह चुकीं लक्ष्‍मी ने बताया कि इसके लिए उन्‍होंने एम्‍पॉवर, मीट और एक्‍सप्‍लौर का कॉन्‍सेप्‍ट बनाया। इसके तहत वे स्‍टार्ट-अप शुरू करने वालों से मिले, उन्‍हें एम्‍पॉवर किया और उनके साथ ही खुद को भी एक्‍सप्‍लौर करने के लिए काम किया। साथ में अपना सफर भी एन्‍जॉय किया।

आई सपोर्ट योर बिजनेस
यह सब उन्‍होंने ‘आई सपोर्ट योर बिजनेस’ कॉन्‍सेप्‍ट की मदद से किया। वे देशभर के कई शहरों में घूमते, ऐसे लोगों, रोटरी क्‍लब्‍स, एनजीओ समेत विभि‍न्‍न संगठनों से मिले और बर्बाद हो चुके स्‍टार्टअप वालों की मदद की। इतना ही नहीं, अपने इस अभियान के तहत उन्‍होंने अब तक 101 बिजनेस को रजिस्‍टर्ड भी कि‍या।

35 लोगों की टीम करती है काम
‘आई सपोर्ट योर बिजनेस’ कम्‍यूनिटी के तहत नवी मुंबई में 35 लोगों की टीम काम करती है, जो कौस्‍तव और लक्ष्‍मी के साथ मिलकर छोटे उद्योग वाले लोगों के बिजनेस को आगे बढाने के में उनकी मदद करते हैं, इसके लिए उन्‍हें वे टि‍प्‍स देते हैं। फेसबुक, ट्विटर और इंस्‍टाग्राम पर उन्‍हें प्रमोट करते हैं। यहां तक कई कई लोगों को उन्‍होंने अपने स्‍टार्टअप के लोगो और बिजनेस थीम डिजाइन करने में भी मदद की है।

11 मार्च को पूरा होगा मिशन
मुंबई से 1 दिसंबर 2021 शुरू हुआ द ग्रेट इंडि‍यन ट्रैवल ने अब तक लगभग सारे स्‍टेट में यात्राएं कर ली है, इस वक्‍त वे मध्‍यप्रदेश के इंदौर में थे, यहां से गुजरात होते हुए वापस महाराष्‍ट्र पहुंचेंगे। 11 मार्च को उनका ये मिशन पूरा होगा। खास बात यह है कि पूरे देश में 28 राज्‍यों की यात्रा इस कपल ने अकेले अपने खर्चे पर की है। इसके लिए वे अब तक करीब 3 लाख रुपए खर्च कर चुके हैं। रोड के माध्‍यम से ज्‍यादा से ज्‍यादा सफर करने के लिए इंडि‍या बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज करने के लिए भी प्रक्रि‍या चल रही है।

लक्ष्‍मी बताती हैं कि इस पूरे सफर में एक महिला होने की वजह से उन्‍हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, ये सफर इतना आसान नहीं था, खाने-पीने से लेकर स्‍टे करना और सोने तक को लेकर कई चुनौतियां सामने आईं, लेकिन चूंकि मकसद लोगों की मदद करना था, इसलिए ये सब मुमकिन हो सका।

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