दिवाली आते ही मानों घर में खुशियों की बारिश होने लगती है। तोहफे इस खुशी में चार चाँद लगा देते हैं। द...
किसी भी लेखक का रचनाकर्म उसकी समकालीन परिस्थितियों, उसके इर्द-गिर्द के वातावरण और घटनाओं से काफी प्र...
मैं तमाम लोगों की दिनचर्या की शुरुआत हूं। मैं शुभ कार्यों का प्रस्‍थान बिंदु हूं। मैं आस्था का प्रक्...
बचपन में एक खिलौना बड़ा आकर्षित करता था। 'मिस्टर पटेटो हैड'। आलू के आकार का प्लास्टिक का खिलौना अलग-...
पिछले दिनों एक पुस्तक प्रदर्शनी में जाना हुआ। पुस्तक प्रदर्शनी से सटे मैदान में एक हस्तशिल्प प्रदर्श...

कौन चुराता है आपकी नींद!

मंगलवार, 27 सितम्बर 2011
डॉक्टर और वैज्ञानिक ये सिद्ध कर चुके हैं कि भरपूर नींद ‍न सिर्फ अच्‍छे स्वास्थ्य की निशानी है बल्कि ...

जंगल के जनक अब्दुल करीम

मंगलवार, 27 सितम्बर 2011
दुनिया में कुछ ऐसे लोग भी हैं, जो बिना किसी हो-हल्ले के पर्यावरण, समाज तथा जनहित में पूरी लगन और मेह...
ब्रिटेन में पिछले दिनों हुए एक सर्वेक्षण में लगभग 50 प्रतिशत अभिभावकों ने यह इच्छा जताई कि स्कूलों म...

हार स्वीकारना भी जरूरी!

मंगलवार, 27 सितम्बर 2011
पिछले दिनों यूएस ओपन की तमाम खबरों के बीच अचानक एक खबर ने सोचने पर मजबूर कर दिया। अपने ताकतवर शॉट्‍स...
क्या पता, कल को यह जानने को मिले कि मादा गौरैया भी जब गला साफ करती है तो उसकी चोंच से अमृत नहीं, कुछ...

बैलगाड़ी की शॉपिंग

मंगलवार, 23 अगस्त 2011
शर्माजी जब भी कोई नई वस्तु खरीदते, हमेशा मुझे साथ ले जाते। इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें से ज्यादातर...
आज से सत्तर साल पहले जब मैं दस साल का था, शाम होते ही भट्टीपारा स्थित अपने क्वार्टर के पिछवाड़े ...। ...
पहले पिताजी हुआ करते थे। पिताजी ने अंगड़ाई ली और वे पापा हो गए। बहुत समय तक बच्चों ने पापा को ढोया। ब...
रेगिस्तानों में भी जीवन धड़कता है। रेत के उन सूखे टीलों के बीच भी सामाजिकता और संस्कृति की नदियाँ प्र...
मसूरी के प्रशासनिक कॉलेज जाने के पूर्व, मुझे सरकारी आदेश मिला, कि मैं अपना अपेंडिक्स का ऑपरेशन करा ल...
मैं न तो कोई हास्य-व्यंग्य सुना रही हूँ और न ही ऐसा लिखना मेरी रुचि है। सीधे कहूँ तो मैं व्यंग्यकार ...